कानपुर (ब्यूरो) पॉल्यूशन सेंसर का डाटा कंट्रोल एंड कमांड सेंटर में मॉनीटर किया जाता था, जिस एरिया में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 250 के ऊपर पहुंचता था, वहां पॉल्यूशन कम करने के लिए पानी का छिड़काव, सड़कों की सफाई समेत अन्य काम होते थे, इससे पॉल्यूशन में कमी आ जाती थी, लेकिन पूरी व्यवस्था चौपट होने से यह सब बंद हो गया है।

आईआईटी के साथ अपडेट
स्मार्ट सिटी के तहत इंटीग्रेटेड कॉमन कमांड सेंटर (आईसीसीसी) का निर्माण टेकमहिंद्रा ने किया। पिछले कई दिनों से अधिकतर सेंसर काम नहीं कर रहे। अधिकारियों का दावा है कि पॉल्यूशन सेंसर सिस्टम को आईआईटी के साथ मिलकर अपडेट किया जा रहा है। इससे उम्मीद है कि आगे बेहतर तरीके से पॉल्यूशन लेवल अपडेट हो सके।

16 परसेंट डस्ट पॉल्यूशन
आंकड़े बताते हैं कि सिटी में डस्ट पॉल्यूशन टोटल पॉल्यूशन का लगभग 16 परसेंट है। बारिश के बाद धूप में सड़कों पर मिट्टी सूखने से वाहनों के चलने पर भारी मात्रा में डस्ट उड़ती है। वहीं दूसरी तरफ विभिन्न जगहों पर बिछाए जा रहे इंटरलॉकिंग के कारण धूल उड़ रही है, ऐसे में न तो सड़क और न ही पेड़ों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है।

12 लाख का खर्च आया था
नगर निगम ने पॉल्यूशन से निपटने के लिए प्रदेश का पहला पॉल्यूशन सोखने के लिए ब्रह्मनगर चौराहा पर अर्बन ट्री लगाया था, एक घंटे में 6 हजार क्यूबिक मीटर हवा को प्यूरीफाई करने करता है। इसे लगाने में 12 लाख रुपए का खर्च आया।
इन जगहों पर लगे पॉल्यूशन सेंसर
गुमटी नंबर-5 चौराहा, जरीबचौकी, अफीमकोठी चौराहा, आईआईटी गेट तिराहा, रावतपुर तिराहा, नौबस्ता, ग्रीनपार्क चौराहा, गोल चौराहा, सिंहपुर मोड़, नरौना चौराहा, गुरुदेव पैलेस, भैरोंघाट चौराहा, कोयला नगर, मरियमपुर चौराहा, मोतीझील समेत अन्य जगहों पर पॉल्यूशन सेंसर लगाया गया है।