-यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के 2013 से 2020 के आंकड़ों में लगातार चढ़ता ही जा रहा पॉल्यूशन का ग्राफ

-पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए पिछले 5 सालों में 200 करोड़ से अधिक खर्च, लेकिन नहीं मिल रहा है सॉल्यूशन

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पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। तरह-तरह की योजनाएं बनाई जा रही हैं लेकिन पॉल्यूशन का ग्राफ साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 5 सालों की बात करें तो लगभग 200 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए। लेकिन सर्दियों में हर साल कानपुर पूरे देश को पीछे छोड़ मोस्ट पॉल्यूटेड सिटी का 'खिताब' हासिल करता है। वक्त के साथ सिटी में पॉल्यूशन कम होने की बजाय दोगुनी रफ्तार से बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि इस बार सर्दियों से पहले ही पॉल्यूशन पर वॉर शुरू हो चुका है। कानपुर को गैस चैंबर बनने से रोकने के लिए परमानेंट सॉल्यूशन पर काम बेहद कम होता है। जबकि आंकड़े कम करने के लिए सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पॉल्यूशन सेंसर के 2 किमी। के दायरे में सारे प्रयास सीमित हो जाते हैं। वहीं इस बार यूपी गवर्नमेंट ने 150 करोड़ रुपए का बजट अकेले नगर निगम को पॉल्यूशन दूर करने के लिए देने जा रही है।

बढ़ने लगा पॉल्यूशन

एयर पॉल्यूशन का लेवल पहले की तरह ही फिर घातक होना शुरू हो गया है। हवा में हानिकारक गैसों का घनत्व खतरे के निशान पर पहुंचने लगा है। यूपी में कानपुर का स्थान मोस्ट पॉल्यूटेड सिटीज की लिस्ट में दूसरा और देश में 12वां है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को सेहत के लिए नुकसानदायक बता रही है। पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5), नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओटू), सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) समेत अन्य गैसों की मात्रा में तमाम प्रयासों के बाद लगातार इजाफा हो रहा है।

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सिटी में इसलिए बढ़ता जा रहा पॉल्यूशन

1. लेस ग्रीनरी

33 परसेंट ग्रीनरी पॉल्यूशन कम करने के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन मौजूदा समय में सिटी में 3.3 परसेंट ग्रीनरी है। हालांकि नगर निगम ने इस साल मियावाकी पद्घति से इस साल 1.30 लाख पौधे लगाए हैं। जिसका असर आने वाले सालों में दिखेगा।

2. इंडस्ट्री पॉल्यूशन

33 परसेंट इंडस्ट्री पॉल्यूशन अब भी सिटी में सबसे ज्यादा है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीमें छापेमारी तक ही सीमित हैं। जबकि सिटी के 20 परसेंट एरिया में इंडस्ट्रीज हैं। लेकिन विभागीय मेहरबानी से ये पॉल्यूशन आज तक कम नहीं हो सका है।

3. डस्ट पॉल्यूशन

14 परसेंट डस्ट पॉल्यूशन को हर साल पानी के छिड़काव से कम करने का प्रयास किया जाता है। लेकिन पॉल्यूशन बढ़ता ही जाता है। न तो यहां सालों से जमा डस्ट को हटाया जाता है और न ही इनकी जगह इंटरलॉकिंग टाइल्स आदि बिछाई जाती हैं।

4. मैकेनिकल स्वीपिंग

5 करोड़ रुपए मैकेनिकल स्वीपिंग के लिए सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने पिछले साल दिए थे, लेकिन नगर निगम अभी तक मशीनों को खरीद नहीं सका है। जबकि 2 स्वीपिंग मशीनें खराब पड़ी हैं।

5. बदहाल सड़कें

14 परसेंट पॉल्यूशन डस्ट से होता है। विजय नगर से जरीब चौकी होते हुए घंटाघर व टाटमिल और नौबस्ता रोड समेत कई मुख्य रोड ऐसी हैं, जहां डस्ट पॉल्यूशन सबसे ज्यादा है। गंदगी भी है। लेकिन इनको बनाने में ध्यान नहीं दिया गया। सिटी में 24 से ज्यादा सड़कें डस्ट पॉल्यूशन का बड़ा सोर्स हैं।

6. कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलेशन

एनजीटी के आदेशों को दरकिनार सिटी में धड़ल्ले से निर्माण और डिमोलेशन होता है। सिर्फ सदियों में इसे रोका जाता है। जबकि केडीए, नगर निगम, आवास विकास समेत सभी विभागों को पूरे साल इस पर काम करना चाहिए। 19 परसेंट पॉल्यूशन इससे होता है।

7. व्हीकल पॉल्यूशन

20 परसेंट पॉल्यूशन सिटी में व्हीकल से होता है। लेकिन सड़कों पर 15 साल पुराने रजिस्ट्रेशन वाले व्हीकल भी धड़ल्ले से दौड़ते हैं। सिटी में 15 लाख से ज्यादा व्हीकल सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

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इन पर हुआ अच्छा काम

1. कंपोस्टिंग- नगर निगम 105 पार्को में कंपोस्टिंग कर रहा है। 50 और पार्को के लिए कार्ययोजना तैयार हो रही।

2. वेस्ट डिस्पोजल- भवसिंह कूड़ा डंप में रोजाना 1 हजार मीट्रिक टन वेस्ट डिस्पोज किया जा रहा है। पॉलिथीन से बायोडीजल बनाने की तैयारी भी है।

3. पॉल्यूशन सेंसर- स्मार्ट सिटी के तहत 50 लोकेशन पर पॉल्यूशन सेंसर लगाए गए हैं। जो रोजाना पॉल्यूशन का डाटा रिकॉर्ड करते हैं

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यूपी पॉल्यूशन बोर्ड के आंकड़े

एरिया कैटेगिरी 2014 2015 2016 2017 2018 2019

जरीबचौकी कॉमर्शियल 218 204 236 237 226 219

किदवई नगर रेजिडेंशियल 186 200 217 209 210 217

पनकी साइट-1 इंडस्ट्रियल 218 219 240 241 237 273

शास्त्री नगर रेजिडेंशियल 208 203 228 233 290 195

आवास विकास रेजिडेंशियल 195 200 206 228 202 190

दादा नगर रेजिडेंशियल 221 222 214 247 256 276

आईआईटी कैंपस रेजिडेंशियल 110 118 128 118 120 173

रामादेवी कॉमर्शियल 218 240 264 278 291 332

नोट- आंकड़े पीएम-10 के माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर में हैं।

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सिटी में पॉल्यूशन के बड़े सोर्स

इंडस्ट्रियल- 33 परसेंट

व्हीकल- 20 परसेंट

कंस्ट्रक्शन व डिमोलेशन- 19 परसेंट

रोड डस्ट- 14 परसेंट

कूड़ा जलाने से- 5 परसेंट

एग्रीकल्चर वेस्ट जलाने से- 4 परसेंट

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सिटी में पॉल्यूशन को कम करने के लिए पानी के छिड़काव के साथ ही डस्ट का उठान किया जा रहा है। अन्य संबंधित विभागों को भी पॉल्यूशन कम करने के लिए उनका पार्ट बता दिया गया है। कूड़ा जलाने और निर्माण सामग्री खुले में रखने वालों पर सख्ती भी होगी। जल्द ही इसके अच्छे रिजल्ट्स सामने आएंगे।

-अक्षय त्रिपाठी, नगर आयुक्त।