-गंगा में आ रहा केमिकल युक्त खतरनाक कलर और कीड़े वाला पानी, भैरोंघाट इनटेक प्वॉइंट पर पानी ज्यादा गंदा
-गंगाजल को शुद्ध करने के बाद भी पानी नहीं हो रहा साफ, जलकल ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को लिखा लेटर
KANPUR : गंगा के मैले आंचल फिर से 'दाग' लगने शुरू हो चुके हैं। चोरी-छिपे गंगा में केमिकल और अन्य गंदगी बहाई जा रही है। इससे गंगा का पानी कहीं गहरा काला और कहीं भूरे रंग का दिख रहा है। साथ ही गंगा के किनारों पर पानी में बड़ी मात्रा में कीड़े भी पनप रहे हैं। जलकल जीएम ने इसकी लिखित शिकायत यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रीजनल अफसर से की है। इससे पूरी व्यवस्था पर ही सवाल उठने लगे हैं। भैरोंघाट इनटेक प्वाइंट पर काले और भूरे रंग के पॉल्यूटेड वाटर पिछले कई दिनों से आ रहा है। वहीं पॉल्यूटेड वाटर के साथ सफेद रंग के कीड़े भी आ रहे हैं।
ट्रीट करने के बाद भ्ाी प्रॉब्लम
जलकल जीएम संजय सिन्हा के मुताबिक भैरोंघाट इनटेक प्वाइंट पर ये प्रॉब्लम बेहद ज्यादा है। पिछले कई दिनों से ये प्रॉब्लम बनी हुई है। पानी को ट्रीट करने के बाद भी व्हाइट कीड़े पानी में लगातार बने हुए हैं। पानी को ट्रीट करने में एलम का ज्यादा यूज हो रहा है, बावजूद इसके कीड़े पानी से खत्म नहीं हो रहे हैं। वहीं जलकल की डेली वाटर टेस्टिंग रिपोर्ट में गंगा जल पॉल्यूटेड और कलर ब्लैक बना हुआ है। बता दें कि भैरोंघाट पंपिंग स्टेशन से रोजाना जलकल को 207 एमएलडी पानी गंगा से मिल रहा है।
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इंडस्ट्री पर शक
जलकल की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा पानी तब आता है, जब बड़ी मात्रा में कहीं से रुका हुआ पानी छोड़ा गया हो। आशंका है कि किसी इंडस्ट्री द्वारा ऐसा किया जा सकता है। जलकल ने पूरा मामला यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सामने रख दिया है। इसके बाद भी गंगाजल में पॉल्यूशन कम नहीं हुआ है। हालांकि डिजॉल्व ऑक्सीजन की मात्रा 9 से 8 मिली ग्राम प्रति लीटर बनी हुई है। जबकि पीएच का लेवल 9 से ज्यादा पहुंच चुका है।
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पानी में केमिकल अधिक
गंगा को पॉल्यूशन फ्री करने के लिए टेनरी और इंडस्ट्री को बंद किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा के पानी में काफी मात्रा में केमिकल पाया गया है। सामान्य रूप से गंगा में 16 एमजी प्रति लीटर से कम सीओडी होना चाहिए। टेनरी क्षेत्र वाजिदपुर में 80 और जाजमऊ में इसका लेवल 48 तक पाया जाता है। इससे चोरी-छिपे टेनरी चलने की बात को बल मिलता है।
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कई नालों को टैप किया
गंगा में नेचुरल सिस्टम को बनाए रखने के लिए मछली, डॉल्फिन और अन्य जलीय जंतुओं का होना बेहद जरूरी है। गंगाजल में ऑक्सीजन बनाए रखने के लिए अनटैप्ड नालों में बायो रैमिडिएशन भी किया गया। इसके अलावा कई नालों को गंगा में गिरने से टैप किया जा चुका है।
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9 फरवरी 2020 को आंकड़े
पैरामीटर मात्रा मिली मानक
पीएच 8.8 6.5-8.5 मिग्रा। प्रति लीटर
नाइट्रेट 0.2 4 पीपीएम से कम
डीओ 9 मिनिमम 4
क्लोरिन निल ----
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11 फरवरी 2020 को आंकड़े
पैरामीटर मात्रा मिली मानक
पीएच 8.9 6.5-8.5 मिग्रा। प्रति लीटर
नाइट्रेट 0.3 4 पीपीएम से कम
डीओ 9 मिनिमम 4
क्लोरिन निल ----
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13 फरवरी 2020 को आंकड़े
पैरामीटर मात्रा मिली मानक
पीएच 9 6.5-8.5 मिग्रा। प्रति लीटर
नाइट्रेट 0.025 4 पीपीएम से कम
डीओ 8.9 मिनिमम 4
क्लोरिन निल ----
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14 फरवरी 2020 को आंकड़े
पैरामीटर मात्रा मिली मानक
पीएच 9 6.5-8.5 मिग्रा। प्रति लीटर
नाइट्रेट 0.25 4 पीपीएम से कम
डीओ 8.8 मिनिमम 4
क्लोरिन निल ----
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15 फरवरी 2020 को आंकड़े
पैरामीटर मात्रा मिली मानक
पीएच 8.8 6.5-8.5 मिग्रा। प्रति लीटर
नाइट्रेट 0.025 4 पीपीएम से कम
डीओ 9 मिनिमम 4
क्लोरिन निल ----
(नोट-ये आंकड़े जलकल की केमिकल टेस्ट रिपोर्ट के हैं.)
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गंगा से पॉल्यूटेड रॉ वॉटर मिल रहा था। इसकी शिकायत पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी से की गई थी। अभी कुछ सुधार आया है।
-संजय सिन्हा, जीएम, जलकल।