कानपुर (ब्यूरो) यहां तक कि फर्जी गुडवर्क कर कानपुर कमिश्नरेट का नाम खराब कर रहे हैैं। सबसे ज्यादा मुसीबत तो फरियादियों के लिए है। चौकियों में बने इन थानों में न तो महिला हेल्प डेस्क बनाई गई है और न ही शिकायत करने गए पीडि़तों के लिए कोई सुविधा है। इससे अधिकारियों की भी किरकिरी हो रही है। कुछ केसों की बानगी आपके सामने है, जिससे पता चल रहा है इन नए थानों में कैसी कार्यप्रणाली है।
गुजैनी थाना :
लूट के पीडि़त को बना दिया आरोपी
अंबेडकर नगर निवासी राजन ङ्क्षसह के साथ 18 जून की रात लूट हुई। आरोप है कि गुजैनी पुलिस ने उसे ही लूट का आरोपी बनाकर मुकदमा दर्ज कर तीन अन्य लोगों के साथ जेल भेज दिया था। जमानत पर बाहर आने के बाद उसके बड़े भाई ने पुलिस आयुक्त से लेकर मुख्यमंत्री तक गुजैनी थाना प्रभारी के खिलाफ शिकायती पत्र भेजकर जांच की मांग की थी। डीजीपी कार्यालय से मामले की जांच चल रही है।
रावतपुर थाना
सॉल्वर को थाने से छोड़ा
केशवपुरम में कर्मचारी चयन आयोग की मल्टी टाङ्क्षस्कग सर्विस की परीक्षा देते गाजीपुर निवासी अभिषेक राय नम का साल्वर पकड़ा गया था। जिसे केंद्र संचालक ने रावतपुर पुलिस को सौंपा था, लेकिन रावतपुर थाने से उसे छोड़ दिया गया। पुलिस आयुक्त के आदेश पर एसीपी कल्याणपुर ने जांच की तो दारोगा अभिषेक सोनकर पर लगे आरोप सही पाए गए। उसे निलंबित करने के साथ ही विभागीय जांच चल रही है।
जाजमऊ थाना
चालान के साथ नहीं लगाया क्रिमिनल रिकार्ड
जाजमऊ टेनरी बवाल के मामले में वायरल हुए वीडियो में मुख्य आरोपी के दिखने के बाद जाजमऊ पुलिस ने उसे गिरफ्तार तो किया, लेकिन पुलिस ने मुख्य आरोपी का क्रिमिनल हिस्ट्री चालान के साथ नहीं लगाई। इसकी वजह से उसे पहले जमानत मिल गई थी। पुलिस ने ऐसा जानबूझकर किया या सिर्फ लापरवाही थी, इसकी जांच चल रही है।
3 जून की घटना से भी नहीं लिया सबक
3 जून को नई सड़क पर उपद्रव हुआ था। पुलिस ने सीसीटीवी और तमाम इविडेंस के आधार पर पांच दर्जन से ज्यादा लोगों को जेल भेज दिया। पहली एसआईटी भंग की गई और एसआईटी प्रमुख त्रिपुरारी पांडेय का तबादला शासन ने कर दिया। इसी दौरान दूसरी एसआईटी डीसीपी ईस्ट के नेतृत्व में गठित की गई, जांच के बाद पता चला कि जेल गए कुछ लोग बेगुनाह हैैं। पुलिस ने रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में दाखिल की, जिसके बाद छह लोगों को जेल से छोड़ा गया। इससे भी नए थानों के पुलिसकर्मी सबक नहीं ले रहे।