पुलिस को नई चुनौतियों से
निपटना सिखाएगा कानपुर
- पूरे देश में चर्चित हुए शहर के बिकरू कांड और ज्योति मर्डर केस को पुलिस ट्रेनिंग के सिलेबस में शामिल किया गया
- नए कोर्स के लिए गठित कमेटी के बाद शासन से भी ग्रीन सिग्नल, केस के चश्मदीद पुलिस गवाह बनेंगे गेस्ट लेक्चरर
>sudheer.misra@inext.co.in
KANPUR : बीते कुछ सालों में शहर में हुई कुछ आपराधिक वारदातों के चलते कानपुर पूरे देश में सुर्खियों में रहा। कुछ ऐसे जटिल और दुस्साहसिक मामले सामने आए जो पुलिस के लिए नया अनुभव के साथ बड़ी चुनौती भी बने। फिर चाहे वो देश और प्रदेश को हिला देने वाले बिकरू कांड हो या फिर 5 साल पहले का ज्योति मर्डर केस हो। अब ये दोनो मामले ही पुलिस को इस तरह की वारदात से निपटने के गुर सिखाएंगे। कानपुर के इन दोनों केस को केस स्टडी के तौर पर पुलिस एकेडमी की किताबों में सिलेबस के रूप में पढ़ाया जाएगा। नए कोर्स के लिए गठित की गई कमेटी ने भी बिकरू और ज्योति मर्डर केस को सिलेबस में शामिल करने की मंजूरी दे दी है। शासन की अनुमति मिलने के बाद इस केस से जुड़ी सारी बारीकियां कलेक्ट करने के लिए कहा गया है। दीपावली के बाद प्रकाशन का आदेश दिया गया है। इस केस के पुलिस के चश्मदीद गवाहों को एकेडमी में गेस्ट लेक्चर के लिए बुलाया जाएगा।
2014 में हुआ था ज्योति मर्डर केस
कानपुर का ज्योति मर्डर केस भी काफी चर्चित रहा है। इस सनसनीखेज मर्डर में शहर के एक बिस्किट कारोबारी के बेटे पीयूष ने प्रेमिका से शादी करने के लिए अपनी पत्नी ज्योति की हत्या की साजिश रची और भाड़े के हत्यारों से वादात का अंजाम दिलवाया गया। इस पूरे हाईप्रोफाइल मामले में पीयूष की प्रेमिका भी शामिल थी। प्लान के मुताबिक वारदात वाली शाम पीयूष अपनी पत्नी ज्योति को लेकर कार से डिनर के लिए निकला था। योजना के मुताबिक पीयूष ने पुलिस को जानकारी दी थी कि उसकी कार लूट ली गई है और लुटेरे उसकी पत्नी को भी किडनैप कर ले गए हैं। वारदात के बाद पीयूष ने खुद स्वरूप नगर थाने पहुंचकर पूलिस को सूचना दी थी। उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए मनगढ़ंत कहानी भी सुनाई। लेकिन,च मोबाइल लोकेशन और इलेक्ट्रानिक सर्विलांस की मदद से पीयूष अपने ही बुने जाल में फंस गया। पुलिस ने पनकी में कार के अंदर ज्योति की खून से लथपथ डेडबॉडी बरामद कर ली गई।
ताकि दोबारा न हो बिकरू जैसा कांड
2 जुलाई की रात शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र अपनी टीम के साथ बिकरू गांव में कुख्यात अपराधी विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए दबिश देने गए थे। विकास की तरफ से हुई फायरिंग में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। जबकि कुछ पुलिस कर्मी घायल भी हो गए थे। इसके बाद विकास दुबे अपने साथियों के साथ फरार हो गया था। विकास को पुलिस ने उज्जैन से गिरफ्तार किया था। जिसके बाद एसटीएफ उसे लेकर कानपुर आ रही थी। रास्ते में विकास ने भागने की कोशिश की। जिसमें विकास मारा गया था। इस सनसनीखेज वारदात के बाद एनकाउंटर का फिल्मी दौर शुरू हो गया। छह शातिर पुलिस की गोली का निशाना बने। जबकि कुछ बदमाश घायल हो गए।
वायरल ऑडियो भी हाेंगे शामिल
शासन से अनुमति मिलने के बाद अकादमी प्रशासन ने इस मामले से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी इकट्ठी करनी शुरू कर दी है। वारदात के बाद से तमाम वीडियो और ऑडियो वायरल हो रहे हैं। इन सभी को इस सेलेबस में शामिल किया जाएगा। इस दौरान कानपुर में तैनात सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से भी जानकारी ली गई है। इस कांड में शामिल हर छोटे-बड़े अधिकारी जो इंट्रोगेशन में शामिल रहे हैं। उन्हें भी शामिल किया जाएगा। इलेक्ट्रानिक एविडेंस भी पुलिस ने कब्जे में लिए हैं।
क्यों पड़ी सिलेबस में शामिल करने की जरूरत
देश-प्रदेश में होने वाली बड़ी वारदातों पुलिस की पढ़ाई में इसलिए शामिल किया जाता है कि इन वारदातों के दौरान जो कमियां सामने आई हैं। उन्हें फिल्टर कैसे किया जाए? पढ़ाई करने वाला आईपीएस या पीपीएस अधिकारी के सामने अगर ऐसी परिस्थिति आ जाए तो उससे कैसे निकला जाए? बिकरू कांड के दौरान खाकी का एक दूसरा चेहरा भी सामने आया था। जिसमें विकास और उसके गिरोह से पुलिस की नजदीकियां सामने आईं थीं। इस कांड को सिलेबस में शामिल करने का उद्देश्य केवल इतना है कि अगर काम करने के दौरान ऐसे हालात बन जाएं तो क्या करना चाहिए।
2021 बैच के आईपीएस
शासन से जारी किए गए जीओ के मुताबिक 2021 बैच के आईपीएस और पीपीएस अधिकारी इसकी बारीकी जानेंगे। सिलेबस निर्धारित करने वाली एक टीम बिकरू गांव में ग्रामीणों से विकास के आतंक की जानकारी करेगी। उसकी दुस्साहसिक वारदातों की सूची भी बनाई जा रही है। विकास के जीवन से जुड़ी हर चीज इस सिलेबस में बारीकी से बताई जाएगी। इन दोनों वारदातों में पुलिस को क्या करना चाहिए था। जो नहीं किया गया? क्या नहीं करना चाहिए था। जो किया गया? इस संबंध में क्वेश्चन तैयार किए जा रहे हैं।
नए कोर्स के लिए गठित की गई कमेटी ने बिकरू और ज्योति केस को सिलेबस में शामिल करने की मंजूरी दी है। जिसके बाद शासन से भी अनुमति मिल गई है। दीपावली के बाद प्रकाशन का आदेश दिया गया है। इस केस के चश्मदीद गवाहों का गेस्ट लेक्चर भी होगा।
राजीव कृष्णा, एडीजी पुलिस अकादमी मुरादाबाद