कानपुर (ब्यूरो) यूपी की विभिन्न पुलिस अकादमियों, पीटीएस और पीटीसी में आरक्षी, दारोगा व इंस्पेक्टर, पीपीएस के अलावा आईपीएस अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है। पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को बड़ी घटनाओं को रोकने में उठाए कदमों के बारे में बताया जाता है। वहीं गुडवर्क को कैसे डेवलप किया गया, इसके बारे में भी जानकारी दी जाती है। पुलिस ट्रेङ्क्षनग के लिए जो सिलेबस लिया जाता है, उसमें कानपुर से जुड़े दो मुद्दे स्थायी हैं। पहला कानपुर के दंगे, इसमें पुलिस कर्मियों को बताया जाता है कि सांप्रदायिक हालात खराब होने के पीछे क्या वजह होती हैं? कैसे अफवाह से माहौल खराब होता है?

3 जून को हुआ था उपद्रव
पिछले दिनों तीन जून को भी नई सड़क पर सांप्रदायिक उपद्रव हुआ था। इसके अलावा कानपुर में विकसित आतंकी माड्यूल को भी पुलिस प्रशिक्षण का हिस्सा बनाया गया है। कानपुर में कई आतंकी अब तक पकड़े जा चुके हैं और बम विस्फोट तक हुआ है। एडीजी जोन कानपुर भानु भाष्कर के मुताबिक ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों से लेकर स्थानीय आतंकी गुटों के स्लीपर सेल कानपुर में डेरा जमाए हुए है। नए पुलिस कर्मियों को समझाया जाता है कि कैसे इन मामलों में सूचनाओं का संकलन किया जाए और सूचनाओं की पुष्टि के लिए क्या-क्या करना चाहिए।

पुलिस की पाठशाला में ये वारदातें शामिल
- पिछले साल पीएम की रैली में खराब मौसम के बावजूद निर्बाध कार्यक्रम का आयोजन
- घाटमपुर में बच्चे की आस में एक बच्ची की हत्या करके उसका कलेजा खाने का मामला
- बिकरू कांड के पूरे घटनाक्रम को ही पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
- कार्डियोलाजी में हुए अग्निकांड के कारण और बचाव दल की सक्रियता को पढ़ाया जाता है।

आतंकी वारदातों से लेकर हाल में हुई शहर की कई बड़ी घटनाओं में विवेचना के दौरान आई जटिलता और उन्हें दूर करने की बारीकियां पुलिसकर्मियों को सिखाने के लिए पुलिस इन्हें अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है।
भानु भाष्कर, एडीजी