-हॉस्टल में घुसकर निर्ममता से स्टूडेंट्स की पिटाई
-कमरों के दरवाजे तोड़ कर घुसने के बाद जमकर तोड़फोड़
-स्टूडेंट्स की कॉपी-किताब, स्टेशनरी और लैपटॉप जैसा सामान बर्बाद किया
हैलट में हुए हाहाकार के बाद फ्राइडे की देर रात पुलिसबलों के जवानों ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल्स में जो तांडव किया। उसका जिक्र करते ही जूनियर डॉक्टर्स के चेहरे की हवाइयां उड़ गई। वो इस कदर सहमे हुए हैं कि सैटरडे को हॉस्टल पहुंचे आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब उनसे उस रात को हुई घटना के बारे में पूछा तो वो बोले, जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगे वो दहश्ात की रात।
नहीं देखी एेसी बेरहमी
मेडिकल कॉलेज के ब्वॉयज हॉस्टल-फ् में घुसते ही एंट्री गेट पर खड़ी कारों के चकनाचूर शीशे और हॉस्टल के अंदर पड़ीं बाइकों की हालत बता रही थी कि रात को यहां क्या हुआ। हर तरफ शीशे के टुकड़े पड़े हुए थे। हॉस्टल में घुसते ही एमबीबीएस फ्राइनल इयर के कुछ स्टूडेंट्स मिले। उन्होंने बताया कि रात को हॉस्टल में पुलिसबल के जवान घुसे तो सब सहम गए। कोई रूम में पढ़ रहा था तो कोई सोने की तैयारी कर रहा था। अचानक किसी की आवाज आई मार्चऔर फिर क्या था। हॉस्टल-फ् के फर्स्ट फ्लोर पर कई लोगों के एक साथ आने की आवाज आई। कुछ जेआर ने बाहर झांककर देखा तो पता चला कि फोर्स आ रही है। इतनी संख्या में जवानों को देखकर सबने अपने रूम के दरवाजे बंद कर लिए।
'सपने में भी नहीं सोचा था'
इतना बताने के बाद वहां मौजूद एक जेआर बोला, भइया सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। उसके मुताबिक रूम के डोर बंद करने के बाद भी कोई बच नहीं पाया। जवानों ने हॉस्टल रूम के डोर को धक्का मारकर खोल दिया। फिर अंदर जो जिस हालत में मिला उसको वहीं बिछा दिया। जिसने भागने की कोशिश की उसको घेरकर मारा। और जो फर्स्ट फ्लोर से नीचे आने में कामयाब रहा उसको नीचे ग्राउंड में मौजूद सपाइयों ने मारा। कोई नहीं बचा।
बाथरूम में घुसकर बचाई जान
जूनियर डॉक्टर्स का कहना था कि जब हम लोगों को लगा कि नहीं बच पाएंगे तो फिर जिससे बचने के लिए जो हुआ उसने वो किया। नितिन यादव, मुवासिर और शिवपूजन ने बताया कि जब रूम के डोर बंद करने से भी वो नहीं बच पाए तो कई लोग बाथरूम में घुस गए। उस वक्त लाइट बंद होने की वजह से पूरे हॉस्टल में अंधेरा था तो कई लोग बाथरूम घुस गए। जिससे उनकी जान बच गई। शिवपूजन के मुताबिक उस वक्त तो ये लग रहा था कि शायद ये जिंदगी की आखिरी रात है। पर भगवान के आगे किसी की नहीं चली और हम लोग आपके सामने हैं।
कहां है स्पर्श?
जेआर बीएस-फ् के रूम नंबर ख्ख्0 के पास आई नेक्स्ट टीम को ले गए और बोले, ये रूम हमारे सबसे होनहार फ्रेंड स्पर्श अनिल भल्ला का है। रूम की हालत बता रही थी कि यहां वो हुआ है जो पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के रूम का नहीं होना चाहिए। रूम के अंदर हर चीज अस्त-व्यस्त थी। बेड पर हर सामान बिखरा पड़ा था। रूम में लगा शीश चकनाचूर कर दिया गया था। स्टूडेंट्स ने बताया कि स्पर्श बहुत होनहार स्टूडेंट है। लास्ट इयर मेडिकल कॉलेज के एनुअल फंक्शन तरंग में मिस्टर तरंग चुना गया था। उसका फ्राइडे की रात से कुछ पता नहीं चल रहा है।
'सबकुछ तोड़ दिया'
हॉस्टल के रूम की स्थिति कुछ चिल्ला-चिल्लाकर कह रही थी कि यहां बंदूकों की बट से स्टूडेंट्स के लैपटॉप कुचले गए। स्टूडेंट्स जिन बर्तनों में खाना बनाते हैं उनको फेंक दिया गया। जूनियर डॉक्टर्स के मुताबिक रूम में रखी बुक्स को फेंक दिया गया। रूम में रखे हर सामान पर डंडे चले।
तो फिर वो कौन थे?
जूनियर डॉक्टर का कहना था कि पुलिसबलों के जवानों के साथ दर्जनों लोग भी हॉस्टल में घुसे थे, जिनको की कोई इसलिए नहीं पहचान पाया, क्योंकि लाइट नहीं आ रही थी। उन लोगों ने बवाल करने के बाद रूम में रखा सामान भी पार कर दिया। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि पुलिस बल के जवान तो कार्रवाई कर रहे थे लेकिन जो लोग जवानों के साथ अंदर घुसे वो कौन थे? क्या वो सपा कार्यकर्ता थे?
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कुछ सवाल जिनके उत्तर कानपुराइट्स मांग रहे हैं
क्। पुलिसबलों के जवानों के साथ हॉस्टल में कौन लोग घुसे? अगर वो सपाई हैं तो उनकी पहचान करके कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
ख्। अगर सत्तापक्ष के विधायक के साथ कोई घटना होती है तो क्या उनके समर्थकों को कानून हाथ में लेने की छूट होती है?
फ्। जिन जेआर ने विधायक के साथ झड़प की, उनको पकड़ना चाहिए कि निर्दोषों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
ब्। हैलट के पास दुकान लेना क्या गुनाह है? वहां की दुकानें ख्ब् घंटे से ज्यादा टाइम से बंद हैं? उनके बिजनेस लॉस की भरपाई कौन करेगा?
भ्। जिन जूनियर डॉक्टर्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है उन्होंने ही हंगामा किया था इसका क्या सबूत है। क्योंकि गुण्डागर्दी करके हो सकता है वो भाग गए हों।