कानपुर (ब्यूरो) दरअसल 2020 में विभिन्न मामलों में 40 पुलिसकर्मी निलंबित किए गए थे, वहीं 37 पुलिसकर्मियों को लाइनहाजिर किया गया था। 9 पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई के बाद बर्खास्त किया गया था और अनुशासनहीनता में 56 पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच (पीई) शुरू की गई थी। जिसमें ज्यादातर मामले अभी भी पाइपलाइन में हैैं। वहीं मार्च 2021 में कमिश्नरेट गठन के बाद से 20 दिसंबर 2021 तक केवल 3 पुलिसकर्मी निलंबित किए गए। 8 पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर किया गया। 1 पुलिस कर्मी बर्खास्त किया गया और दो पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच (पीई) शुरू की गई। लाइन हाजिर और निलंबित किए गए इन सभी पुलिसकर्मियों की बहाली हो चुकी है।


आदेश मिलते ही खलबली
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दिसंबर के दूसरे वीक में रिपोर्ट भेजी गई थी। लास्ट वीक में रिमाइंडर लगाकर मुख्यालय से लेटर आ गया है। जिसके बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। जिन पुलिस कर्मियोंं को 'माफी की संजीवनीÓ मिल चुकी है। उनकी फाइलें तलब की जा रही हैैं। आमतौर पर जांच होने में तीन से छह महीने का समय लगता है। अब ये जानकारी की जा रही है कि आखिर ये जांच इतनी जल्दी कैसे और क्यों निपटा दी गई। किन अधिकारियों ने जांच की है.सुपरवाइजरी ऑफिसर कौन था। शासन ने जिन प्वाइंट्स पर जवाब मांगा है, उसके मुताबिक जवाब तैयार किया जा रहा है।

गिर सकती है गाज
मामले से जुड़े पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, शहर से ट्रांसफर होकर दूसरे जिलों में जा चुके दो पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गंभीर कार्रवाई हो सकती है। क्योंकि कई जांचों में दोनों पुलिस अधिकारी ही सुपरवाइजर थे। जिन पुलिसकर्मियों की जांच की गई थी उनमें से कई गैर जनपद ट्रांसफर हो चुके हैैं। उनके खिलाफ भी शासन कार्रवाई का मन बना चुका है। वहीं मिशन शक्ति का प्रचार प्रसार कमजोर होने और महिलाओं को न्याय न मिलने के मामले में भी जांच रिपोर्ट शासन से भेजी गई है। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर भी जांच के दायरे में हैैं। इन पुलिस अधिकारी का कमिश्नरेट से तो मतलब नहीं है लेकिन दूसरे कई मामले इनसे जुड़े हुए हैैं।