कानपुर(ब्यूरो)। चोर लुटेरे पकड़ में आएं या नहीं, पीडि़त थाने-चौकी के चक्कर भले लगाते रहें लेकिन रिश्वतखोरी में खाकी वाले कभी नहीं चूकते। गवर्नमेंट इम्प्लाइज के खिलाफ करप्शन से जुड़े मामलों की जांच करने वाली यूनिट एंटी करप्शन के आंकड़े कुछ यही गवाही दे रहे हैं। एंटी करप्शन के आंकड़ों के मुताबिक कानपुर नगर से विभिन्न सरकारी विभागों के 15 मामले जांच के दायरे में हैं। इनमें से 8 अकेले पुलिस विभाग से जुड़े हुए हैं।
गवर्नमेंट इम्प्लाइज की जांच
एंटी करप्शन विभाग, पुलिस से जुड़ी ही एक यूनिट है जो कि गवनमेंट इम्प्लाइज के भ्रष्टाचार की जांच करती है। विशेषकर काम के बदले रिश्वत मांगने वाले सरकारी कर्मचारियों को रंगे हाथों पकडऩे का काम इसी विभाग का है। पिछले दिनों एंटी करप्शन की टीम ने वन विभाग के एक वरिष्ठ लिपिक को अपने ही विभाग के वन रक्षक से 50 हजार रुपये लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। ये वन रक्षक रिटायर्ड रक्षा कर्मी था और अपने ही फंड के लिए उसने आवेदन किया था, जिसके बदले उसने रकम मांगी थी।
8 विवेचनाएं, सात जांचें
एंटी करप्शन के रिकार्ड को देखें तो कानपुर नगर की यूनिट के पास इस समय 18 विवेचनाएं और 11 जांचें लंबित हैं। इसमें सर्वाधिक मामले कानपुर नगर से हैं, जिसमें 8 विवेचनाएं व सात जांचें शामिल हैं। इन सभी मामलों में जांच में सहयोग के नाम पर रिश्वत की मांग की गई। सही होने के बावजूद पीडि़तों को ही पीडि़त किया गया। ऐसे में पीडि़तों की शिकायत पर ये जांचें चल रही हैं।
इन विभागों और जनपदों के मामले
- कानपुर की पुलिस पर भ्रष्टाचार के 8 मामलों के अलावा वन विभाग के दो, राजस्व विभाग, आरटीओ, खाद्य विभाग, आवास विकास आदि के एक-एक कर्मचारी पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
- कानपुर नगर के 15 मामलों के अलावा लखनऊ से जुड़े सात, औरैया के दो, फर्रुखाबाद के दो और महोबा, उन्नाव व प्रयागराज के एक-एक प्रकरणों में जांच व विवेचना चल रही है।
मांगे रिश्वत तो करें शिकायत
एंटी करप्शन के इंस्पेक्टर मृत्यंजय मिश्रा ने बताया कि विभाग काम के बदले रिश्वत मांगने वाले सरकारी सेवकों, आय से अधिक संपत्ति जुटाने वाले सरकारी सेवकों की जांच करता है। कोई भी आम आदमी इन सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचार से जुड़ी सूचना विभाग को दे सकता है। इसके लिए विभाग की ओर से दो मोबाइल 9454402484 और 9454401887 जारी किए हैं। कोई भी पीडि़त इन नंबरों में शिकायत दर्ज कराकर गोपनीय जांच करा सकता है। जांच सही पाए जाने पर उक्त कर्मचारी को रंगे हाथ पकड़ा जाता है।
कहां है एंटी करप्शन का ऑफिस
पुलिस कमिश्नर ऑफिस परिसर में जेसीपी ऑफिस से लगी हुई इमारत में एंटी करप्शन का ऑफिस है। इस ऑफिस में डिप्टी एसपी और इंस्पेक्टर के साथ यूनिट का स्टाफ बैठता है। अगर कोई सरकारी अधिकारी आपसे काम करने के बदले रुपये मांगता है तो तत्काल इस यूनिट को जानकारी दें। आपको जानकारी देने के बाद एक ट्रैप प्लान किया जाएगा, जिसके बाद इस ट्रैप को टीम अंजाम देगी। इसका स्पेशल कोर्ट मुख्यालय में होता है।
इस तरह से किया जाता है ट्रैप
आपकी शिकायत के बाद एक ट्रैप प्लान किया जाता है, जिसमें शिकायतकर्ता को केमिकल लगे हुए नोट दिए जाते हैैं। इन नोटों को पकड़ते ही केमिकल रिश्वत लेने वाले के हाथों में लग जाता है, इसी बीच आस पास मौजूद यूनिट को लोग रिश्वत लेने वाले को हिरासत में ले लेते हैैं। इविडेंस मजबूती के लिए हाथ केमिकल में डाले जाते हैैं तो पानी गुलाबी हो जाता है। यूनिट स्थानीय थाने में ही केस दर्ज कराती है लेकिन इसकी जांच एंटी करप्शन यूनिट के इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी करते हैैं।
एंटी करप्शन कानपुर यूनिट का हाल
डिस्ट्रिक्ट-- जांच,विवेचनाएं
कानपुर-- 15
लखनऊ- 7
औरैया-- 2
फर्रूखाबाद-2
महोबा--1
उन्नाव-1
प्रयागराज-1
जांच और विवेचना में अंतर
भ्रष्टाचार के किसी मामले की कंप्लेन करने पर सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होती है, उसके पहले पीडि़त की तहरीर के आधार पर गोपनीय जांच की जाती है। गोपनीय जांच में संतुष्टि होने पर ट्रैप किया जाता है। इसके बाद एफआईआर दर्ज की जाती है और उस मामले की विवेचना की जाती है। इसके लिए विवेचक के रूप में किसी अफसर को जिम्मेदारी दी जाती है।