कानपुर (ब्यूरो) । गंगाबैराज में हादसे में हुई दो मौतों का मामला पूरी तरह से पुलिस की लीपापोती का शिकार हो रहा है। पहले पुलिस ने धाराओं में खेल किया। उसके बाद मुआवजे की रकम को लेकर तत्कालीन थानाध्यक्ष रोहित तिवारी पर आरोप लगे और अब इस पूरी लीपापोती के मामले में जांच कर रहे एसीपी कर्नलगंज रिपोर्ट पर भी अंगुलियां उठने लगी हैैं।

2 नवंबर को हादसा

गंगा बैराज स्थित मैगी प्वाइंट पर उन्नाव की ओर से आ रहे कार सवार चार नाबालिगों ने पांच दुकानों में टक्कर मार दी थी। इस दौरान रामजी कश्यप की दुकान में काम करने वाले रामपुर निवासी मेवालाल के बेटे सागर और उन्नाव के गंगाघाट स्थित कनिकाऊ गांव निवासी शिवचरन रावत के बेटे आशीष की मौत हो गई थी। पुलिस ने कार चला रहे काकादेव निवासी डॉक्टर के बेटे समेत चार नाबालिगों के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने, उतावलेपन की वजह से मृत्यु होने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। ये हादसा दो नवंबर को हुआ था।

ऐसे कर रहे धाराओं से खेल

नवाबगंज पुलिस ने आइपीसी की धारा 304ए को बढ़ाकर आरोपियों के खिलाफ गैरइरादतन हत्या यानी धारा 304 में मुकदमा दर्ज कर लिया है। धारा 304ए में दो साल की सजा है, जिसमें थाने से जमानत मिल जाती है। धारा 304 में 10 साल की सजा है, जिसमें थाने से जमानत नहीं मिलती।असलियत ये है कि नवाबगंज पुलिस ने चारों आरोपियों का चालान 304ए में ही किया और उन्हें थाने से ही जमानत दे दी। तीन दिन बाद इस मामले में चर्चा रही कि पूरे मामले में तत्कानलीन इंस्पेक्टर ने परिजनों को कोर्ट कचहरी का डर दिखाकर पांच पांच लाख रूपये देकर समझौता करा दिया। जबकि कथित तौर पर डीलिंग तीस लाख में होने की बात सामने आ रही थी।

एसीपी की जांच पूरी

इस मामले में एसीपी कर्नलगंज मामले की जांच कर रहे थे। सूत्रों की माने तो इस मामले में लगभग जांच पूरी हो चुकी है। जिसमें परिजनों द्वारा मर्जी से मुआवजा मिलने की बात कही गयी। अब इस मामले में परिजन भी चुप्पी साधे हुए है तो वहीं पुलिस पूरे मामले में एफआर लगाने की तैयारी में है। इस संबंध में जानकारी करने पर एसीपी ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। परिजनों ने मुकदमा लडऩे से इंकार किया है। मुआवजा मिलने की बात कही है लेकिन राइटिंग में नहीं दिया है।