कानपुर (ब्यूरो) सिटी में ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए वन विभाग और नगर निगम तेजी से प्रयास कर रहा है, लेकिन इन प्रयासों को कितनी देखरेख होती है, यह बात किसी से छुपी नहीं है। दरअसल, विभाग हर साल सिटी के अलग अलग हिस्सों समेत सरकारी भवनों में पौधा लगाने का टारगेट रखता है, ताकि ग्रीनरी बने रहे, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत ये है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा पौधे सूख चुके हैं। वहीं, विभाग का दावा है पांच प्रतिशत ही पौधे सूख जाते हैं, 95 प्रतिशत पौधों को बेहतर तरीके से देखभाल हो रहा है।

पॉल्यूशन लेवल हाई
वन विभाग और नगर निगम के आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार सालों में कानपुर में लगभग 53.63 लाख पौधों को लगाया गया हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर पौधे देखरेख नहीं होने के चलते सूख गए हैं। कई जगह तो इनके नामोनिशान तक मिट गए हैं। वहीं, एक्सपर्ट बताते हैं कि विभाग अगर पौधों का सही से देखभाल करता तो कानपुर का एयर पॉल्यूशन लेवल कंट्रोल में रहता लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा है।

पौधारोपण का बनाया रिकॉर्ड
साल 2021 में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक बड़ी मुहिम चलाई गई थी। जिस कारण अलग अलग विभागों का टारगेट दिया गया था। जिसके बाद वन महोत्सव के दौरान लक्ष्य से ज्यादा पौधारोपण कर रिकॉर्ड बनाया गया, इतनी बड़ी सख्ंया में पौधारोपण इससे पहले कभी नहीं हुआ। जिसमें वन विभाग ने 18 लाख, नगर निगम 1.37 लाख समेत अन्य कई विभागों ने लक्ष्य से ज्यादा पौधारोपण किया था।

दम तोड़ रहे पौधे
सिटी के अलग-अलग एरिया में नगर निगम पिछले चार सालों में कुल 4.63 लाख पौधा लगा चुका हैं, लेकिन हकीकत ये है कि इनमें ज्यादातर पौधे देखरेख के अभाव में सूख गए हैं या आवारा पशुओं ने इन्हें अपना निवाला बना लिया। बता दें कि वष्णुपुरी, गंगा बैराज, बृजेंद्र स्वरूप पार्क समेत अन्य जगहों का हाल ऐसा हो चुका हैं कि लाखों की लागत से लगाए गए पौधे पूरी तरह सूख चुके हैं। वहीं, विष्णुपुरी में पौधे की सुरक्षा के लिए लगाई गई जालियां भी टूट चुकी हैं।

4 से 20 रुपए तक कीमत
वन विभाग के मुताबिक, मॉनसून में पौधे लगाने का सबसे अच्छा समय होता है। इस सीजन में पौधे 10 गुना तेजी से तैयार होते हैं और 30 गुना अधिक घने होते हैं, पौधे लोकल एनवायॅरमेंट कंडीशन के आधार पर लगाए जाते हैं। प्रति वर्ग मीटर 3 से 5 पौधे लगाए जाते हैं, साथ ही रोपे गए पौधों की लंबाई 60 से 80 सेमी तक होती है। वहीं, एक पौधे की कीमत 4 रुपए से 20 रुपए तक होती हैं, ऐसे में सालाना दो करोड़ से अधिक रुपए सिर्फ पौधारोपण पर खर्च किया जाता है।
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इन-इन किस्मों के लगाए पौधे
पीपल, गुलमोहर, कैजुरिना, चंपा, बॉटल, कनैर, नाशपाति, मेंहदी, तुलसी, सुखचैन, गूलर, नीम, इमली, शहतूत, जामुन, बरगद, पारस, मौलश्री, पिलखन, शीशम, अशोक, फाइकस टिकोमा समेत अन्य पौधे शामिल है।