ये ग्रह पृथ्वी से चार हज़ार प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। नया ग्रह सौर मंडल को शामिल करनेवाली आकाश गंगा में स्थित नक्षत्र - मिल्की वे - में मिला है।

इस ग्रह का अभी नाम नहीं रखा गया है। वैज्ञानिक अभी इसकी स्पष्ट तस्वीरें प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। नए ग्रह की खोज अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने की जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली, अमरीका और ब्रिटेन के वैज्ञानिक शामिल हैं।

हीरा

वैज्ञानिकों के अनुसार नया ग्रह हीरे के जैसे अति सघन पदार्थ का बना हो सकता है। समझा जा रहा है कि अत्यधिक दबाव के कारण ग्रह के केंद्र में स्थित कार्बन हीरे में बदल गया होगा।

नया ग्रह सौर मंडल के विशालतम ग्रह वृहस्पति से छोटा हो सकता है मगर इसका द्रव्यमान उससे अधिक हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये ग्रह एक विशाल तारे से बना होगा। समझा जा रहा है कि वो तारा टूट गया और अब वो केवल इस ग्रह के रूप में बचा रह गया है।

खोज करनेवाले दल की अगुआई करनेवाले, मेलबोर्न की स्विनबर्न युनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक मैथ्यू बेल्स ने बताया कि नए ग्रह का पता रेडियो तरंगों से लगा। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों को पहले एक चक्कर काटता तारा मिला और बाद में उन्होंने पाया कि एक छोटा ग्रह इसकी परिक्रमा कर रहा है जो बाद में हीरे का ग्रह निकला।

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