- दैनिक जागरण आईनेक्स्ट एक्सक्यूज मी मुहिम से जुड़ी छात्राएं

- रैली निकाल कर किया मुहिम के लिए जागरूक

KANPUR: पिंक टॉयलेट को लेकर शुरू की गई दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की मुहिम एक्सक्यूज मी ने महिलाओं को इस मुद्दे को उठाने के लिए सशक्त आवाज दी। लगातार चले इस अभियान का असर हुआ कि नगर निगम की ओर से शहर में 20 पिंक टॉयलेट के निर्माण की पहल की गई। साथ ही शहर के व्यापारी संगठन भी इससे जुड़े। उन्होंने पब्लिक टॉयलेट के मेनटेनेंस और उनकी साफ-सफाई का जिम्मा उठाने का वादा किया। कुछ व्यापार मंडलों ने तो अपने खर्च पर टॉयलेट तैयार करने की बात की। वहीं वेडनसडे को इसी मुद्दे पर कल्याणपुर में छात्राओं ने एक रैली निकाली और पिंक टॉयलेट की अहमियत समझाते हुए महिलाओं की आवाज को बुलंद किया। सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के पास से शुरू हुई इस रैली में यूनिवर्सिटी के कई अलग-अलग इंस्टीट्यूटस की छात्राएं जुटी। पोस्टर और बैनर के साथ उन्होंने लोगों को अवेयर किया।

हेल्थ से जुड़ा मामला

वेडनसडे सुबह हुई इस रैली में शामिल ग‌र्ल्स ने कोविड प्रोटोकॉल दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी का भी पालन किया। टॉयलेट के महत्व और उसके महिलाओं की हेल्थ से जुड़े प्रभावों वाले प्लेकार्ड्स लिए लड़कियां रैली में बढ़ी तो उन्होंने पिंक टॉयलेट की जरुरत पर अपने नारों के जरिए आवाज उठाई। इस दौरान बातचीत में कई ग‌र्ल्स ने कहा कि यह बेहद जरूरी है। सरकार महिला सशक्तिकरण के लिए इतनी सारी योजनाएं चला रही है।

अन्य शहरों से पिछड़े

कानपुर को छोड़कर नोएडा, लखनऊ जैसे शहरों में कई पिंक टॉयलेट बन चुके हैं, लेकिन यहां अभी तक इसे बनाने की ठोस पहल नहीं हुई है। जबकि यह लेडीज की सेहत से जुड़ी बात है। घर से बाहर निकलने पर वह बेवजह परेशान न हो और शर्मिदगी न उठानी पड़े इसके लिए साफ सुथरे टॉयलेट बनने ही चाहिए।

पिंक टॉयलेट का आर्टवर्क

इस रैली में यूनिवर्सिटी के इंस्टीटयूट ऑफ फाइन आर्ट्स की ग‌र्ल्स भी शामिल हुई। उन्होंने अपनी कला के जरिए पिंक टॉयलेट की अहमियत को बताने की कोशिश की। बैचलर्स ऑफ फाइन आर्ट्स कोर्स की कई छात्राओं ने पिंक टॉयलेट को लेकर पोस्टर तैयार किए और पिंक टॉयलेट का स्वरूप कैसा हो यह बताने की कोशिश्ा की।

अपने हक के लिए बुलंद की आवाज

ग‌र्ल्स की इस प्रॉब्लम का समाधान होना चाहिए। यह उनकी हेल्थ से जुड़ा मुद्दा है।

- मुस्कान वर्मा

सिटी में लेडीज के लिए साफ सुथरे पिंक टॉयलेट नहीं है। इनका ज्यादा से ज्यादा निर्माण सुनिश्चित कराया जाए।

-शाल्वी सिंह

यह बहुत अच्छा इनीशिएटिव है। इस पर शहर की सिविक बॉडीज को ध्यान देते हुए इसका समाधान कराना चाहिए।

-अरुणिमा शुक्ला

महिला सशक्तिकरण की बात होती है और बेसिक सुविधाएं ही महिलाओं को नहीं मिलती। यह सही बात नहीं है।

-कल्पना यादव

यह तो बहुत बेसिक मुद्दा है। सिटी में इतने पब्लिक टॉयलेट हैं। महिलाओं के लिए कुछ और अलग टॉयलेट बन जाए इसमें क्या प्रॉब्लम होगी।

-ऋतिका पांडेय

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की यह बहुत अच्छी पहल है। इससे उस समस्या पर भी आवाज उठी जिस पर कम ही बात होती है।

-स्वाती जैन

इन मुद्दों को लोग कम ही उठाते हैं, लेकिन यह उनकी बेसिक जरुरतों से जुड़ी बात है। खास तौर से महिलाओं के लिए तो पिंक टॉयलेट होने की चाहिए।

-अंशिका जुगरान

टॉयलेट महिलाओं की हेल्थ से जुड़ा मसला भी है। साफ-सुथरे टॉयलेट रहे इसके लिए उनके मेनटेनेंस की जिम्मेदारी भी दी जाए।

- मिहिका गुप्ता

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने अच्छी पहल की है। बाहर खास तौर से मार्केट एरिया में साफ टॉयलेट नहीं होने से महिलाओं को काफी परेशानी हेाती है।

-शालिनी

इस समस्या का समाधान होता है तो यह बड़ी कामयाबी होगी। टॉयलेट बनाने के साथ ही वह साफ सुथरे रहे इसका भी ध्यान देना होगा।

- शिवांग

सोशल मीडिया पर किसने क्या कहा

शहर में महिलाओं के लिए अलग पिंक टॉयलेट होने चाहिए। नगर निगम इन टॉयलेट को मार्केट एरियाज के आसपास ही बनवाए तो ज्यादा बेहतर होगा।

- आस्था श्रीवास्तव

शहर में दर्जनों बड़े टॉयलेट हैं, लेकिन उनका ठीक से मेनटेनेंस नहीं होता है। अगर इन्हें ही ठीक से मेनटेन और साफ सुथरा रखा जाए तो महिलाओं की ही क्या काफी लोगों की प्रॉब्लम कम हो जाए।

- अभीजीत सिंह

एक्सक्यूज मी कैंपेन के जरिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने ऐसे मुद्दे को उठाया है। जिस पर ज्यादा बात नहीं होती। कानपुर में पिंक टॉयलेट कहीं नहीं दिखते। सोचिए कि ऐसे में घर से बाहर निकलने वाली महिलाओं को कितनी प्रॉब्लम होती होगी।

- संगीता गुप्ता

पब्लिक प्लेस पर टॉयलेट नहीं होने से पुरुषों को कम महिलाओं को ज्यादा दिक्कत होती है। सरकार जब महिला सशक्तिकरण पर इतना खर्च कर रही है तो शहर में थोड़े पिंक टॉयलेट भी बनवा दे तो बेहतर हो।

- रुचि पांडेय

यह मुद्दा सिर्फ महिलाओं को घर से बाहर होने वाली प्रॉब्लम से ही नहीं बल्कि उनकी सेहत से भी जुड़ा है। ज्यादा देर टॉयलेट रोकने के काफी दुष्परिणाम होते हैं।

- अर्निमा

गोविंद नगर मार्केट में महिलाओं के लिए एक भी पिंक टॉयलेट नहीं है। जबकि यहां हर रोज हजारों महिलाएं शॉपिंग करने आती हैं। इतनी बड़ी बाजार में कम से कम दो पिंक टॉयलेट तो होने की चाहिए।

- अंकुर खन्ना

नगर निगम और महिलाओं से जुड़े संगठन इस मुद्दे की गंभीरता को समझे और इसके निस्तारण के लिए गंभीरता से प्रयास करें। शहर में कम से कम हर बाजार में तो दो-दो पिंक टॉयलेट बनने की चाहिए।

- सरिता त्रिवेदी

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की इस मुहिम का असर हुआ है। पिंक टॉयलेट बनाने की अब बात हो रही है। यह सकारात्मक प्रयास हुआ। जिसमें सफलता मिली और महिलाओं की समस्या भी सुलझी।

- प्रियंका यादव