कानपुर(ब्यूरो)। लुटेरों ने लोगों की नींद उड़ा रखी है। हर गली बाजार में लुटेरे वारदातों को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं। चेन, मोबाइल, पर्स लूटकर ये लुटेरे मिनटों में रफूचक्कर हो जाते हैं। पुलिस सिर्फ रिपोर्ट दर्ज कर बैठ जाती है। लुटेरे पुलिस के हाथ नहीं लग रहे हैं। बहाना है कि मेट्रो वर्क के चलते सारे कैमरे बंद हैं, इसलिए लुटेरों का मूवमेंट पता नहीं पाता। यानि पुलिस का कहना है कि जब तक कैमरे सही नहीं हो जाते, तब तक चोर लुटेरों से अपनी रक्षा खुद करें।
छह महीने में 150 पार
पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं कि 2020 में वारदातें कुछ कम हुई थीं। लेकिन यह साल कोरोना की लहर वाला था। जब लोग अपने घरों में कैद थे। 2022 में वारदातों का आंकड़ा बढ़ा, जबकि 2023 के छह महीनों में ये आंकड़ा 2022 और 2021 के बराबर पहुंच रहा है। पुलिस रिकार्ड में 153 वारदातें दर्ज हो चुकी हैं। ये हालात तब हैं जब शहर को सर्विलांस और सीसीटीवी से लैस किया गया है। लेकिन, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मेट्रो निर्माण कार्य की वजह से सीसीटीवी का कंट्रोल टूट गया है, ये कैमरे अब शोपीस बन गए हैं, जिसकी वजह से पुलिस को न तो चेन स्नेचर्स की तस्वीरें मिल पा रही हैं और न ही हत्या और लूट के जैसी संगीन वारदातों को अंजाम देने वालों की।
एक सप्ताह में आठ वारदातें
चेन स्नेचर्स का 2023 के छह महीने में सिर्फ एक गैंग पकड़ा गया। ये गैंग फतेहपुर का था। अब बात की जाए 1 जुलाई की तो इस दिन शातिरों ने किदवई नगर में चेन स्नेचिंग की और उसके बाद सीसामऊ में स्नेचिंग की कोशिश की। इस कोशिश के दौरान लुटेरों को पकडक़र लोगों ने पीटकर पुलिस को सौंप दिया। पुलिस का दावा है कि पकड़े गए शातिरों ने ही किदवई नगर की वारदात को अंजाम दिया था। दोनों वारदातों में केवल एक घंटे का अंतर था। 3 जुलाई को शातिरों ने शहर में तीन वारदातों को अंजाम दिया। जिसमें दो चेन लूटी गईं और एक पर्स। अब चार जुलाई की बात की जाए तो बाबूपुरवा और चकेरी में चेन स्नेचिंग की दो वारदातें हो गईं। पुलिस लगातार वारदातों को सुलझाने की कोशिश कर रही है, लेकिन कोई बड़ा गैंग पकड़ में नहीं आ रहा है।
स्नेचिंग रोकने के लिए चलाई गई थीं ये स्कीम
1- नहीं दिखाई पड़ती है पुलिस फोर्स : मार्निंग वॉकर्स के साथ लगातार वारदातें बढ़ गई हैं। इन वारदातों को रोकने के लिए वर्किंग प्लेस के आस पास पुलिस फोर्स लगाकर वारदात रोकने का प्लान था लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी।
2- स्नेचर्स वेरिफिकेशन स्कीम : कमिश्नरेट बनने के बाद जब अचानक वारदातें बढ़ीं तो ये तय किया गया था कि स्नेचर्स वेरिफिकेशन स्कीम चलाई जाएगी। शहर में बीते एक साल से कमिश्नरेट की ये योजना भी फेल हो गई।
3 - हेलो कानपुर स्कीम : मॉर्निग वॉकप्लेसेस पर जाकर लोगों से मिलकर उनको हेलो बोलने का प्लान था। मंशा थी कि लोग इससे अपने आपको सेफ महसूस करेंगे, और सीनियर सिटीजन का हौसला बढ़ेगा, लेकिन ये योजना भी केवल कागजों तक सीमित रह गई।
वारदातों को अंजाम देकर क्यों भाग जाते हैं शातिर
क्राइम को अंजाम देने के लिए आस पास के जिलों से शातिर आते हैं और वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं। इसमें सूचना के बाद जब तक पुलिस एक्टिव होती है, उससे पहले शातिर जिले से फरार हो जाते हैं। सबसे बड़ी परेशानी की बात ये है कि मौके की फुटेज तो पुलिस को मिल भी जाती है। लेकिन वारदात के बाद ये जिस रास्ते भागते हैं, वह रास्ता कैमरों की खराबी की वजह से लुटेरे ट्रेस नहीं हो पाते।
सात महीने में पकड़ा एक गैंग
सात महीने में कमिश्नरेट पुलिस ने केवल एक गैंग पकड़ा है। इसके अलावा फतेहपुर के दो शातिर, सीसामऊ में दो स्नेचर, नौबस्ता, गोविंद नगर और बर्रा में एक-एक स्नेचर पकड़ा गया है। पुलिस रिकॉर्ड में इसके अलावा कोई बड़ा गैंग नहीं है।
स्नेचिंग की वारदातों के हालात
साल वारदातें खुलासा
2020 - 19 00
2021 - 48 16
2022 - 103 34
2023 - 153 74
अधिकारियों ने कहाः
मेट्रो परियोजना के अधिकारियों के साथ बैठक की गई है। कमिश्नरेट बनने के बाद जहां जहां कैमरे लगे थे, वहीं स्थापित किए जाएंगे। जिससे सर्विलांस को मजबूत किया जा सके।
तेज स्वरूप सिंह, डीसीपी हेडक्वार्टर
आस पास के जिलों में रजिस्टर्ड गैंग्स की लिस्ट मंगाई गई है। स्नेचर्स की हिस्ट्री और मूवमेंट भी चेक किया जा रहा है, जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी।
बीपी जोगदण्ड, पुलिस कमिश्नर