कानपुर (ब्यूरो)। हार्निया से ग्रसित पेशेंट के लिए राहत भरी खबर है। हैलट में अब हार्निया का ऑपरेशन लेप्रोस्कोपिक तकनीक से किया जाएगा। इससे पेशेंट को पहले की तरह चीरे वाला ऑपरेशन कराने पर एक से दो सप्ताह तक घर पर आराम नहीं करना पड़ेगा। वह दो से तीन दिनों में फिट हो जाएगा और अपनी दिनचर्या भी वापस लौट सकेगा। इसके अलावा किसी चीज का परहेज पेशेंट को नहीं करना पड़ेगा।
बच्चों से लेकर बड़े तक शिकार
हैलट हॉस्पिटल की ओपीडी में एक सप्ताह में करीब 8 से 10 पेशेंट हार्निया की समस्या लेकर आते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है। जो बच्चों व बड़े किसी को भी हो सकती है। मोटे लोग व युवाओं में यह बीमारी अधिक होती है। इसका ट्रीटमेंट ऑपरेशन से ही संभव है।
ब्लड भी ज्यादा नहीं निकलता
अभी तक हैलट में पेट में लंबा चीरा लगाकर हार्निया का ऑपरेशन किया जाता था। इससे पेशेंट को अधिक पीड़ा होती थी और ब्लड भी निकल जाता था। इसके अलावा कई विभिन्न समस्या पेशेंट को फेस करनी पड़ती थी। लेकिन अब हार्निया का ऑपरेशन लेप्रोस्कोपिक तकनीकी से छोटा सा यानि आधा इंच से कम चीरा लगाकर किया जा रहा है। जिसमें पेशेंट को दर्द व ब्लड भी अधिक नहीं निकलता है।
प्राइेवट में लगते 25 हजार रुपए
हैलट के एसआईसी प्रो। आरके सिंह ने बताया कि एक सप्ताह में पांच से छह ऑपरेशन हार्निया के लेप्रोस्कोपिक तकनीकी से किए जा रहे हैं। ऑपरेशन के दौरान पेशेंट को एक डयुलमेस लगाई जाती है। जिसकी कीमत प्राइवेट में करीब 25 हजार रुपए है। हैलट में यह पेशेंट को फ्री में लगाई जाती है। इसके बाद पेशेंट को छुट्टी डे केयर की तरफ छह घंटे बाद या उसके दूसरे दिन कर दी जाती है। ऐसे कई पेशेंट जो ऑपरेशन के बाद दो से तीन में अपने पुरानी दिनचर्या में चले जाते हैं।
लेप्रोस्कापिक से ट्रीटमेंट आसान
एक्सपर्ट के मुताबिक, जिनका नाभि व जांघ सहित शरीर का कुछ हिस्सा जन्मजात कमजोर होता है। उन्हें हार्निया होने की संभावना अधिक रहती है। कई बार ऑपरेशन से मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और वहां हार्निया हो जाता है। शरीर के अंदर से अंग बाहर निकलने लगते हैं। पहले हार्निया का ओपन सर्जरी की जाती थी। अब लेप्रोस्कोपिक तकनीकी से ट्रीटमेंट और आसान हो गया है।
हार्निया के मुख्य कारण
मांसपेशियों की कमजोरी हार्निया की मुख्य वजह है। मांसपेशियां कमजोर होने के कई कारण है। जैसे चोट लगना, गर्भावस्था, मोटापा, उम्र बढ़ाना, अधिक वेट उठाना, लंबे समय तक खांसी आना, पेट में तरल पदार्थ जमा हो जाने से, अधिक वेट उठाकर एक्सरसाइज करने से, जन्म के दौरान शिशु का वजन कम होना, धूम्रपान, सर्जरी के दौरान जटिलता होना, कब्ज, लगातार छींक आना आदि लक्षण है।