कानपुर(ब्यूरो)।हैलट व संबद्ध अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले पेशेंट को व उनके अटेंडेंट को जांच रिपोर्ट के लिए जल्द ही पैथोलॉजी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सितंबर में लागू होने वाले नए सिस्टम के तहत मरीज की जांच रिपोर्ट उसका इलाज करने वाले कंसल्टेंट, सीनियर और जूनियर रेजीडेंट के पास चली जाएगी। इसके लिए ई-हास्पिटल सिस्टम को मजबूत करते हुए एकीकृत लैब सिस्टम लागू करने की कवायद चल रही है।
अलग-अलग रिपोर्ट जारी होती
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के हैलट हॉस्पिटल में 24 घंटे सेवाएं प्रदान करने वाली हैलट पैथोलाजी है, जहां ओपीडी, इमरजेंसी और वार्डों में भर्ती पेशेंट की सभी जरूरी पैथोलाजिकल जांचें होती हैं.इसके अलावा मेडिकल कालेज के पैथोलाजी विभाग में सात लैब हैं, हिमेटोलाजी लैब, बायोकेमेस्ट्री लैब, साइटोलाजी लैब, हिस्टो पैथोलाजी लैब और गाङ्क्षसग लैब हैं। इसके अलावा कैंसर की जांचों के लिए एडवांस इम्योनो हिस्ट्रो केमेस्ट्री (आइएचसी) लैब है। बायोकेमिस्ट्री विभाग और माइक्रोबायोलाजी विभाग की अलग-अलग लैब हैं। अभी सभी लैब से अलग-अलग रिपोर्ट जारी होती है। इसलिए रिपोर्ट के लिए मरीजों व उनके स्वजन को चक्कर लगाने पड़ेंगे। इस समस्या से पैथोलाजी विभागाध्यक्ष प्रो। सुमनलता वर्मा एवं प्रो। चयनिका काला ने प्राचार्य को अवगत कराया था। इस पर प्राचार्य ने ई-हास्पिटल सिस्टम से एकीकृत लैब प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए है।
मोबाइल में देख सकेंगे रिपोर्ट
मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो। संजय काला ने बताया कि दो सर्वर का आर्डर दिया है। सर्वर आते ही ई-हास्पिटल सिस्टम से एकीकृत लैब प्रणाली को लागू कर दिया जाएगा। उसके बाद अस्पताल और मेडिकल कालेज की लैब की रिपोर्ट आनलाइन हो जाएंगी। क्लाउड साफ्टवेयर से कंसल्टेंट, एसआर और जेआर सीधे डाउन लोड कर सकेंगे। जिन मरीजों के पास स्मार्ट फोन होंगे, वह भी रिपोर्ट हासिल कर सकेंगे। इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है।
- 3 विभाग पैथोलाजी, बायोकेमिस्ट्री और माइक्रोबायोलाजी
- 8 लैब सिर्फ पैथोलाजी विभाग में हैं
- 10,000-12,000 जांचें रोजाना होती
- 2500-3000 मरीज की होती ओपीडी