- झकरकटी बस अड्डे पर कंडक्टर-ड्राइवर की मिलीभगत से बिना बुकिंग के भेजा जा रहा माल, रोडवेज को लाखों का चूना
-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में पूरे खेल का खुलासा, नोट थमाओ इसके बाद कुछ भी भेजो, कोई देखने वाला नहीें
KANPUR। लॉकडाउन में पहिए थमने के कारण रोडवेज की आर्थिक हालात खस्ता हो चुकी है। भारी-भरकम स्टाफ को सैलरी देना भी मुश्किल पड़ रहा है। इन हालात में रोडवेज के ही कर्मचारी विभाग को लाखों का चूना लगा रहे हैं। बिना बुकिंग के रोडवेज बसों से सामान भेजने काम धड़ल्ले से चल रहा है। ड्राइवर-कंडक्टर को नोट थमाओ और पार्सल में भरकर कुछ भी भेजो। ये तक चेक नहीं होता कि पार्सल में बम है या बारूद। हर जिले का रेट फिक्स है। रेट दो और माल भेजो। मंडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के स्टिंग ऑपरेशन में रोडवेज कर्मचारियों का यह पूरा खेल कैमरे में कैद हो गया।
जगह-झकरकटी बस अड्डा
समय-12:45 बजे
रिपोर्टर व्यापारी बनकर बस अड्डे पर पहुंचता है और माल भेजने के लिए प्रयागराज जाने के लिए तैयार जनरथ एसी बस कंडक्टर से बात करता है। कई लोग अपना लगेज बस में चढ़ा रहे हैं।
रिपोर्टर- भइया यह गत्ता प्रयागराज पहुंचाना है। कितने रुपए लगेंगे
कंडक्टर- ये भाईसाहब भी प्रयागराज भेज रहे हैं। इन्होंने 100 दिए है आप भी 100 दे दीजिए।
रिपोर्टर- अच्छा, भइया दुकान का सामान अक्सर फतेहपुर व प्रयागराज भेजना होता है। फतेहपुर का क्या रेट है?
कंडक्टर- मेरा फोन नंबर ले लीजिए। आप सामान भेज कर फोन कर देना। आपका माल वहां सुरक्षित पहुंचा देंगे। फतेहपुर का 70 रुपए है।
रिपोर्टर- रास्ते में कोई चेकिंग-वेकिंग का लफड़ा तो नहीं रहता। चेकिंग में माल पकड़ लिया तो.?
कंडक्टर- कुछ नहीं होगा। आपका माल सुरक्षित वहां पहुंचेगा। रूट में चेकिंग करने वाला स्टाफ भी तो अपना ही है। सब मैनेज हो जाता है। फॉर्मेलिटी के लिए ड्यूटी तो करनी पड़ती है ना।
रिपोर्टर- फिर भी अगर किसी अधिकारी ने पकड़ लिया तो क्या होगा।
कंडक्टर- यहां से डेली सैकड़ों एसी व नॉन एसी बसों में बिना बुकिंग के व्यापारियों के लगेज जाते हैं। आप पहली बार भेज रहे हैं इसलिए इतना पूछ रहे हैंचिंता न कीजिए। कोई दिक्कत नहीं होगी।
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कैसे होता पूरा खेल
झकरकटी बस अड्डे में खड़ी बसों के कंडक्टर से व्यापारियों के गुर्गे कॉन्टेक्ट करते हैं। लगेज पार्सल करने को लेकर पैसा तय होने के बाद कंडक्टर लगेज को बस के अंदर गेट के किनारे व सीट के नीचे रख देता है। दूसरे जिले में लगेज रिसीव करने वाले को मोबाइल से बस की नंबर प्लेट की फोटो खींच कर वाट्सएप कर दी जाती है। इसके साथ ही वहां बस पहुंचने का संभावित समय भी बता दिया जाता है। जिससे बस पहुंचते ही आदमी माल लेकर निकल जाता है।
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एक कार्टन का रेट फिक्स
रिपोर्टर ने पार्सल लेकर बस में रख रहे एक युवक से भी माल भेजने के तरीके को लेकर बात की। उसने बताया कि माल कहां और कौन उतारेगा, उसका नाम कंडक्टर को जरूर नोट करा देना। इसके साथ जो माल उतारेगा, उसे बस के नंबर प्लेट की फोटो खींचकर भेज दो। जो पैसा कंडक्टर लेता है उसमें अधिकारियों तक का हिस्सा होता है। माल आराम से पहुंच जाता है। मैं तो डेढ़ साल से हर तीसरे चौथे दिन पार्सल भेजता हूं। कोई झंझट नहीं है। बस अड्डे पहुंचने के पहले ही मेरा आदमी माल उतार लेता है।
कहा का कितना रेट
- प्रयागराज का 100 रुपए
- झांसी का 150 रुपए
- लखनऊ का 70 से 80
- कन्नौज-फर्रुखाबाद का 50
- गोरखपुर-बहराइच का 200
- वाराणसी का 170 रुपए
- रायबरेली व हरदोई का 100
नोट-रेट प्रति कार्टन का है
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मामले की जानकारी नहीं है। इसकी शिकायत पहले भी कई बार आ चुकी है। जिसमें कंडक्टर पर कार्रवाई भी हुई है। अगर यह खेल फिर शुरु हो गया है तो इसकी जांच करा दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
राजेश सिंह, एआरएम, झकरकटी बस अड्डा