कानपुर (ब्यूरो)। पैराशूट निर्माण के क्षेत्र में क्वालिटी को बढ़ाने के लिए डिफेंस मिनस्ट्री के पीएसयू ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड कंपनी &जीआईएल&य ने दिल्ली और कानपुर आईआईटी से एमओयू किया है। दिल्ली आईआईटी के साइंटिस्ट आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस से पैराशूट के कपड़े का परीक्षण करने की तकनीक देंगे। क्वालिटी जांचने में एआई का लाभ मिलने से टेस्टिंग के दौरान मैनुअल फाल्ट होने का खतरा कम हो जाएगा। वहीं, सुखोई-30 और हाक विमानों के स्वदेशी पैराशूट बनाकर आत्मनिर्भर बनने में सफलता मिली है। ये जानकारी जीआईएल कंपनी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक विजय कुमार तिवारी ने कांफ्रेंस के दौरान दी।

स्टार्टअप कंपनियों की मदद लेंगे

उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन सेंटर और डिफेंस मिनिस्ट्री के आइडेक्टस प्लेटफार्म की मदद से पैराशूट निर्माण के नवाचार में स्टार्टअप कंपनियों की मदद लेंगे। ताकि वैश्विक बाजार में भारत की दमदार उपस्थिति दर्ज हो सके। उन्होंने बताया कि डिफेंस मिनिस्ट्री ने निर्यात के लिए दस करोड़ का लक्ष्य दिया है। जीआईएल ने अनुसंधान एवं विकास, विनिर्माण व मरम्मत सेटअप स्थापित करने के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के साथ काम करने की कार्य योजना बनाई है। ड्रोन सेफ्टी पैराशूट अनुसंधान के तहत ही विकसित किया गया है। आज मार्केट में इसकी मांग बढ़ी है। कांफ्रेंस में परिचालन व मानव संसाधन निदेशक सुनील दाते, वित्त निदेशक सुरेंद्र धापोडक़र मौजूद रहे।

पहली बार यूरोपियन देश से मिला ऑडर

अभी तक तीन स्टार्टअप कंपनियों के साथ मिलकर काम करने से पैरासेङ्क्षलग और पैराग्लाइङ्क्षडग पैराशूट के आर्डर मिले हैं। पहले इंडोनेशिया को अधिकांश तौर पर पैराशूट निर्यात किए जाते थे लेकिन पहली बार दक्षिणी पश्चिमी यूरोपियन देश बुल्गारिया से 22 करोड़ का पायलट पैराशूट का निर्यात आर्डर मिला है। इससे यूरोप की बाजार में प्रवेश करने का मौका मिला है। पी 16 के लिए एलएंडटी कंपनी के साथ काम करेंगे।