कानपुर (ब्यूरो)। लॉन्ग रूट की ट्रेनों में पैसेंजर्स को अब क्वालिटी वाला खाना मिलेगा। क्योंकि ट्रेनों में अवैध वेंडरिंग रोकने व पैंसेंजर्स को अच्छा खाना उपलब्ध कराने के लिए रेलवे बोर्ड नई खानपान नीति लागू करने जा रहा है। इसके तहत ट्रेनों के पेंट्रीकार का लाइसेंस कंपनियों को सात साल के लिए मिलेगा। वहीं, कंपनियां अपना बेस किचन भी तैयार करना होगा। चुनाव के बाद पेंट्रीकार के लाइसेंस नए नियम के तहत दिए जाएंगे। बताते चलें कि दो सप्ताह पहले यशवंतपुर-गोरखपुर सुपरफास्ट के एसी कोच में 50 से अधिक पैसेंजर्स की एग बिरयानी खाने से तबियत खराब हो गई थी। घटना का कारण ट्रेन में पेंट्रीकार न होना था। जिसकी वजह से ही पैसेंजर्स ने अवैध वेंडर्स से खाना खरीद कर खाया था।
दो तरह की व्यवस्था
दरअसल, रेलवे में पैसेंजर्स को खानपान सुविधा उपलब्ध कराने की दो तरह की विभागीय व्यवस्था लागू हैं। शताब्दी एक्सप्रेस, वंदे भारत एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस सहित प्रीमियम ट्रेनों में किराये के साथ ही खानपान चार्ज पैसेंजर्स से जमा कराया जाता है। यह खानपान की प्रीपेड व्यवस्था है। इसके अलावा आईआरसीटीसी के वेंडर चलती ट्रेन में पैसेंजर्स को खाना उपलब्ध कराने के बाद उनसे उसकी कीमत लेते हैं। यह पोस्टपेड सुविधा है। प्रीमियम ट्रेनों का प्रीपेड खाना तो कुछ ठीक भी है, लेकिन शिकायत पोस्टपेड सुविधा वाली ट्रेनों में अधिक आती हैं।
खानपान नीति में बदलाव
पोस्टपेड सुविधा को लेकर आने वाली शिकायतों के पीछे रेलवे की खानपान नीति भी एक बड़ा कारण है। अभी तीन-तीन माह का लाइसेंस वेंडरों को दिया जा रहा है। जिससे वह अस्थाई तरीके से खाना बना ट्रेनों में सप्लाई करते हैं। यही कारण है कि वह अपने खानपान की क्वालिटी को सुधारने के लिए रुचि नहीं दिखाते हैं। रेलवे की वर्ष 2017 की खानपान नीति में बेस किचन बनाने का प्रावधान किया गया था, लेकिन लीज पालिसी की बाधा के कारण बेस किचन के लिए जगह का आवंटन फंस गया।
यह बदलाव किए जाएंगे
ट्रेनों में खानपान का लाइसेंस लेने वाली कंपनियों को सात वर्ष का ठेका मिला तो ये कंपनियां अधिक निवेश करेंगी और स्थायी बेस किचन तैयार कर वहां खाना बनवाएंगी। जिससे खाने की क्वालिटी में सुधार आएगा। कंपनियों को बड़े रेलवे स्टेशनों के परिसर या उस शहर में आईआरसीटीसी के तय मानकों के तहत खाना तैयार करना होगा। बेस किचन से ही तैयार खाना प्रीमियम और अन्य ट्रेनों के पैसेंजर्स को मिलेगा। बेस किचन में तैयार खाने की क्वालिटी की मानीटरिंग आईआरसीटीसी के आफिसर्स समय-समय पर करते रहेंगे।
समिति ने की थी सिफारिश
संसद की लोक लेखा समिति ने फरवरी 2024 में भारतीय रेलवे ने खानपान सेवा नाम से अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वर्ष 2005, 2010 और 2017 में खानपान नीति में हुए बदलाव के कारण ट्रेनों के खानपान में सुधार नहीं हो सका है। समिति ने खानपान नीति में स्थिरता लाने का सुझाव दिया है। बदलाव से कैटरिंग कंपनियां लंबे समय के लिए निवेश से बचती हैं, जिसका असर खानपान की क्वालिटी पर पड़ता है।