कानपुर (ब्यूरो) डीएफओ श्रद्धा यादव ने बताया कि आईआईटी कैंपस के आसपास बने घने जंगलों में 2 पिंजड़े लगवा दिए गए हैं। तेंदुए को आकर्षित करने के लिए तेंदुए के यूरिन को भी पिंजड़ों के आसपास डाला गया है। बावजूद इसके तेंदुआ पकड़ से दूर है। नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट में भी एक पिंजड़ा लगाया गया है।
अफवाह ने बढ़ाई दहशत
शुक्रवार देर रात नौरैयाखेड़ा में एक महिला ने तेंदुए की हमले की पुलिस को सूचना दी। इसके बाद पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। लेकिन सूचना पूरी तरह फर्जी पाई गई। अर्मापुर पुलिस ने बताया कि साइकिल सवार 2 युवकों का झगड़ा हो गया था। झगड़े में एक युवक ने दूसरे को झाडिय़ों की तरफ खींचकर मारना शुरू कर दिया। महिला ने अंधेरा होने की वजह से तेंदुआ समझा और पुलिस को सूचना दे दी।
10 दिन बाद तेंदुआ फिर लौटा
तेंदुए के दोबारा लौटने की खबर से आईआईटी और एनएसआई कैंपस में दहशत का माहौल है। आखिरी बार तेंदुआ 15 नवंबर को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में देखा गया था। करीब 1 महीने से कानपुर में तेंदुआ दहशत का पर्याय बना हुआ है। 10 दिन बाद तेंदुआ आईआईटी में फिर दिखना शुरू हो गया है।
वन विभाग ने बदली स्ट्रेटजी
डीएफओ श्रद्धा यादव ने बताया कि इस बार जहां पिंजड़े लगाए गए हैं, वहां कॉम्बिंग बिल्कुल भी नहीं की जा रही है। सुरक्षा की दृष्टि से टीमों को जंगल के बाहर ही तैनात किया गया है। तेंदुए के लिए पिंजड़ों में मांस रखा गया है। तेंदुआ दिन में बिल्कुल भी नहीं निकलता है, रात में ही वो मूवमेंट करता है। इसलिए रात में सतर्क निगाह रखी जा रही है।