- ऑक्सीजन की शॉर्टेज बताकर प्राइवेट हॉस्पिटल कई गुना तक बढ़ाए गए ऑक्सीजन के चार्ज, कोविड पेशेंट्स के बढ़ गए बिल

- सप्लाई में कमी और महंगी दरों पर ऑक्सीजन खरीदने को वजह बता रहे हॉस्पिटल,

KANPUR: आपदा को अवसर में बदलने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील को शायद सबसे ज्यादा गंभीरता से प्राइवेट हॉस्पिटल्स, एंबुलेंस संचालक और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों ने ही लिया है। ये सभी हालात और कोविड पेशेंट्स की मजबूरी का पूरा फायदा उठा रहे हैं। सिटी में ऑक्सीजन की कथित किल्लत के बाद ऑक्सीजन के रेट बेलगाम हो गए हैं। प्राइवेट कोविड हॉस्पिटल में हर एक सांस के लिए कई गुना रेट वसूले जा रहे हैं। जिसकी वजह कोरोना पेशेंट का बिल भी तेजी से बढ़ रहा है। डिस्चार्ज के बाद बिल में ऑक्सीजन का चार्ज देखकर ही लोग हैरान हैं लेकिन उनके सामने बिल चुकाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। हालंाकि प्राइवेट हॉस्पिटल्स का कहना है कि उन्हें भी महंगी दरों पर ऑक्सीजन खरीदनी पड़ रही है।

दो दिन में 10 हजार की ऑक्सीजन

शहर के एल-1 कैटेगरी के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती सिविल लाइंस के एक कोरेाना पेशेंट को इलाज के 9 दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। इस दौरान उनका बिल 2.10 लाख रुपए बना। जब उन्होंने बिल में चार्जेस के ब्रेकअप को देखा तो 10 हजार रुपए सिर्फ ऑक्सीजन का ही चार्ज लगा था। जबकि उन्हें सिर्फ दो दिन ही बाईपेप मशीन के जरिए ऑक्सीजन दी गई थी। ऑक्सीजन को लेकर जब उन्होंने अस्पताल के मैनेजमेंट से जानकारी की तो उन्हें बताया गया कि उन्हें खुद काफी महंगी दरों पर ऑक्सीजन लेनी पड़ रही है। इस वजह से ऑक्सीजन के चार्जेस भी बढ़ गए हैं।

40 हजार की लग गइर् ऑक्सीजन

सिटी के एक बड़े प्राइवेट कोविड अस्पताल में काकादेव के एक कारोबारी को कोरोना की पुष्टि होने के बाद भर्ती कराया गया। 13 दिन तक उनका हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट चला। इसके बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। अस्पताल में ट्रीटमेंट के दौरान 5 दिन उन्हें आईसीयू में रखा गया जबकि 3 दिन वेंटीलेटर पर भी रहे। जब वह डिस्चार्ज हुए तो उनका बिल 4.30 लाख रुपए बना। इसमें 40 हजार रुपए सिर्फ ऑक्सीजन के चार्जेस थे। पूछने पर यहां भी हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने महंगी ऑक्सीजन खरीदने को कारण बताया।

हर हॉस्पिटल का अलग चार्ज

सिटी में अभी 7 प्राइवेट कोविड अस्पतालों में कोरोना पेशेंट्स का ट्रीटमेंट चल रहा है,लेकिन सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन का चार्ज अलग अलग है। ज्यादातर अस्पतालों में पेशेंट्स को मेनीफोल्ड पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था है। तो कुछ में सीधे सिलेंडर के जरिए ऑक्सीजन दी जाती है। ऐसे में हर अस्पताल में ऑक्सीजन के चार्जेस भी अलग अलग हैं। इस वजह से कई अस्पतालों में ऑक्सीजन का खर्चा भी ज्यादा अाता है।

ऑक्सीजन सप्लाई में दिक्कत

कानपुर में तीन कंपनियां हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन की सप्लाई करती हैं। इनके अपने प्लांट भी शहर में लगे हुए हैं। छोटे बड़े सिलेंडरों के जरिए वह ऑक्सीजन की सप्लाई अलग अलग अस्पतालों में करती हैं। नर्सिग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.एमके सरावगी बताते हैं कि ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने से उसकी सप्लाई में प्रॉब्लम आ रही है। हांलाकि अभी ऑक्सीजन की किल्लत जैसी स्थिति नहीं है। ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनियों की ओर से भरोसा दिया गया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी जाएगी। फिर भी निर्धारित दरों पर समय से पर्याप्त ऑक्सीजन की सप्लाई कर पाने में कुछ समस्याएं आ रही हैं।

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एक महीने में 50 लाख्ा की खपत

शहर के सबसे बड़े एलएलआर कोविड हॉस्पिटल में लगातार ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ रही है। यहां लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट के साथ ही सिलेंडर के जरिए भी ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है.अगस्त महीने में ही ऑक्सीजन के मद में 50 लाख के बिल का पेमेंट कंपनियों को किया गया। अगर अगस्त 2019 की बात करें तो उस महीने ऑक्सीजन का खर्च 12 लाख से भी कम था। इसके अलावा कोविड ट्रीटमेंट की क्षमता बढ़ाने के लिए वार्ड-1,2,3,4 को में भी पाइप से ऑक्सीजन सप्लाई शुरू की जाएगी। इसके लिए भी कंपनियों के अलग से टेंडर किए जा रहे हैं।

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