-कंसंट्रेटर के प्रोडक्शन के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार से स्वीकृति मिली
- आईआईटी के एल्युमिनाई ने बनाए हैं यह ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, साढ़े पांच हजार कंसंट्रेटर ओएनजीसी को मिलेंगे
- 01 मिनट में दस हजार लीटर ऑक्सीजन का होता निर्माण
- 85 हजार रुपए कीमत का है एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
KANPUR: कोविड की सेकेंड वेव ने लोगों को जीवन भर न भूलने वाले गम दिए है। कोविड की वजह से ऑक्सीजन लेवल का अचानक गिर जाना लोगों की डेथ का बड़ा कारण बनी थी। अब जब थर्ड वेव की संभावना है तो देशभर में ऑक्सीजन की कमी न हो इसके लिए तैयारी हो रही है। ऑक्सीजन की कमी पेशेंट्स के आड़े नहीं आए इसके लिए आईआईटी के एल्युमिनाई ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तैयार कर दिए हैं। कानपुर समेत देश भर के पेशेंट्स को इन कंसंट्रेटर से ऑक्सीजन मिलेगी। इसके लिए आईआईटी कई अस्पतालों से करार कर रहा है।
हॉस्पिटल्स में लगने लगे
ओएनजीसी में इस महीने के अंत तक साढ़े पांच हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर भेज दिए जाएंगे। पब्लिक सेक्टर ने दो माह पहले इसके आर्डर दिए थे। अब इन आर्डर को पूरा करने के साथ आईआईटी अस्पतालों के आर्डर के अनुसार आक्सीजन कंसंट्रेटर बना रहा है। कुछ अस्पतालों में कंसंट्रेटर लगाया जा चुका है। आईआईटी की इंक्यूबेटेट कंपनी इंडिमा फाइवर ने इसे बनाया है।
गवर्नमेंट से िमली परमिशन
एक्स पीएचडी स्टूडेंट और कंसंट्रेटर बनाने वाले डॉ। संदीप पाटिल और डॉ। सुनील डोले के अलावा महाराष्ट्र के एक प्राइवेट टेक्निकल कॉलेज से एमटेक करने वाले तुषार वाग ने साल भर की रिसर्च के बाद इसे तैयार किया है। डा। संदीप पाटिल ने बताया कि कंसंट्रेटर के उत्पादन के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार से स्वीकृति मिली है।
तीन हजार कंसंट्रेटर पहले दे चुके
ओएनजीसी से पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व दिल्ली के कई उद्यमियों को आर्डर पर तीन हजार कंसंट्रेटर दिए गए हैं जिनका अस्पताल कोरोना की दूसरी लहर में हुआ था। उन्होंने जो आक्सीजन कंसंट्रेटर बनाया है वह एक मिनट में 10 लीटर आक्सीजन का निर्माण करता है। इसकी कीमत 85 हजार रुपए है।
दोगुनी आक्सीजन का होता निर्माण
डा। संदीप पाटिल ने बताया कि उनके आक्सीजन कंसंट्रेटर की क्षमता सर्वाधिक है। अभी तक देश में जो आक्सीजन कंसंट्रेटर बनाए गए हैं उनकी अधिकतम क्षमता पांच लीटर प्रति मिनट है। वह इतनी आक्सीजन का निर्माण करते हैं। उनके कंसंट्रेटर की क्षमता उनसे दो गुना अधिक है। इससे अधिक मरीजों को जरूरत पड़ने पर आक्सीजन दी जा सकती है।