कानपुर(ब्यूरो) ऑर्थो इंप्लांट की तरह आंखें के ऑपरेशन में लगने वाले लेंस के नाम पर प्राइवेट से लेकर सरकारी अस्पतालों तक गोरखधंधा चल रहा है। आंखों में होने वाली सबसे आम समस्या मोतियाबिंद होती है। जिसे सही करने के लिए नेत्ररोग विशेषज्ञ पुराना लेंस हटाकर नया लेंस लगाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर यह लेंस कितनी तरह के होते हैं और कौन सा लेंस अच्छा होता है और उसकी कीमत क्या होती है। सरकारी अस्पताल में ही अगर ऑपरेशन कराना पड़े तो आपको कितनी कीमत चुकानी पड़ेगी। तो आपको बता दें कि आर्थोपेडिक इंप्लांट की तरह ही लेंस का बाजार भी नेत्ररोग विशेषज्ञ की मर्जी से ही चलता है। क्योंकि लेंस के रेट निर्धारण का आजतक कोई सिस्टम ही नहीं। इसलिए जो डॉक्टर कहे उसे मानने के सिवा पेशेंट के पास कोई रास्ता नहीं है।
कीमत से 10 गुना एमआरपी
हार्ट में पडऩे वाले स्टंट के रेट तो सरकार ने निर्धारित किए हैं,लेकिन कैटरैक्ट के ऑपरेशन में मरीज को लगाए जाने वाले लेंस की कीमतें नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी के अंतर्गत नहीं आतीं। ऐसे में इनकी कीमतों को रेग्युलेट करने का मैकेनिज्म ही अब तक सरकार ने नहीं बनाया है। ऐसे में लेंस की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियां अपने हिसाब से एमआरपी निर्धारित करती हैं। आम तौर पर 200 से 1500 रुपए तक में मिलने वाला आईओएल लेंस की एमआरपी 6 हजार से 15 हजार रुपए तक मरीज को देती हैं जबकि डॉक्टर्स व अस्पतालों को इसकी सप्लाई बेहद कम कीमत पर की जाती है।
सरकारी में भी हजारों का खर्च
एलएलआर अस्पताल हो, उर्सला या कांशीराम अस्पताल। इन सभी अस्पतालों में नेत्ररोग विशेषज्ञों की तैनाती है। ओपीडी चलाने के साथ ही यहां बड़ी संख्या में कैटरैक्ट के ऑपरेशन किए जाते हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की ओर से समय समय पर अलग अलग जगहों पर कैटरैक्ट के ऑपरेशन के लिए फ्री कैंप भी लगाए जाते हैं। जिसमें मोतियाबिंद के मरीजों को चिन्हित कर उनका निशुल्क ऑपरेशन होता है, लेकिन इसके अलावा ओपीडी में आने वाले मरीजों के ऑपरेशन के लिए उनसे लेंस का पैसा लिया जाता है।
सामान्य तरीके से या फेको विधि
बाकी यह डॉक्टर पर निर्भर करता है कि वह मरीज का ऑपरेशन सामान्य तरीके से करे या फिर फेको विधि से। हैलट अस्पताल में ही नेत्ररोग के मरीजों को कैटरैक्ट का ऑपरेशन कराने के लिए लेंस के लिए 3 से 8 हजार रुपए तक चुकाने पड़ते हैं। जबकि उर्सला अस्पताल में भी 5 हजार से 10 हजार रुपए तक का खर्च कैटरैक्ट के ऑपरेशन में आमतौर पर आता है। दोनों ही अस्पतालों में लेंस की खरीद की व्यवस्था नहीं है।
मार्केट में कितनी तरह के लेंस
-फिक्सड फोकस मोनोफोकल लेंस
-एकोमोडेटिंग- फोकल मोनोफोकल लेंस
-मल्टी फोकल लेंस
-एस्टिग्माटिस्म करेक्शन लेंस
-टोरिक इंट्राऑकुलर लेंस
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इस मैटेरियल के बनते हैं लेंस-
आईओएल इंट्राओकुलर लेंस प्लास्टिक, एक्रेलिक और सिलिकॉन से बनाए जाते हैं।
कीमत का खेल समझें-
-200 से 1500 रुपए कीमत के लेंसों पर एमआरपी 6 से 15 हजार तक
- इंपोर्टेड लेेंस के प्राइज की शुरुआत 30 हजार रुपए से होती है
- एनएन 6 सीडब्लूएस लेंस की एमआरपी 18500 रुपए लेकिन डॉक्टर्स को आधे रेट पर सप्लाई
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12 हजार से एक लाख तक पैकेज
आर्थोपेडिक इंप्लांट की तरह की कैटरैक्ट के ऑपरेशन में लेंस लगाने के लिए अलग अलग नेत्ररोग विशेषज्ञ अलग अलग कीमत लेते हैं। लेंस की क्वालिटी, इंडियन व इंपोर्टेड लेंस के नाम पर यह कीमत वसूली जाती है। हालांकि सबसे सस्ते आईओएल लेंस की कीमत 500 रुपए तक से शुरू होती है,लेकिन यह डॉक्टर तय करता है कि कौन सा लेंस मरीज के लिए सही रहेगा। ज्यादातर नेत्ररोग विशेषज्ञ कैटरैक्ट का ऑपरेशन पैकेज पर करते हैं। जिसमें लेंस के साथ ऑपरेशन, ड्रॉप और चश्मे का रेट भी जुड़ा हेाता है। प्राइवेट अस्पतालों व क्लीनिकों में इस पैकेज की शुरुआत 12 हजार से एक लाख रुपए तक पड़ती है।