कानपुर(ब्यूरो)। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बने सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल में अब गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट भी तेजी से तैयार हो रहा है। यहां नई फैकल्टी के साथ कई मरीजों की जांच और इलाज के लिए कई एडवांस मशीनें भी आ गई हैं। पहले जहां गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी की ओपीडी हफ्ते में 2 दिन चल रही थी वहीं जल्द इसे हफ्ते में 6 दिन शुरू किया जाएगा। क्योंकि डिपार्टमेंट में अब तीन गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट हो गए हैं। डॉ.विनय कुमार, डॉ.आशाक हुसैन और डॉ.पवन अब गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट में भी पेशेंट देखेंगे। जबकि डॉ.आशाक हुसैन के मेडिसिन डिपार्टमेंट का होने की वजह से वह मेडिसिन की जनरल ओपीडी भी करेंगे।
पेट और लीवर का सस्ता एडवांस ट्रीटमेंट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सुपरस्पेशिएलिटी अस्पताल में बने गैस्ट्रोइंट्रोलॉर्जी िडपार्टमेंट में मरीजों के इलाज के लिए कई एडवांस उपकरण भी मंगाए गए हैं। जिनके इंस्टॉलेशन का काम चल रहा है। इन एडवांस उपकरणों में इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ ईआरसीपी (इंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैंक्रेटोग्राफी) जांच भी शामिल है। यह दोनों जांचे अभी कानपुर में प्राइवेट में ही हो रही हैं। जिसके रेट हजारों रुपए में हैं,लेकिन सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में विशेषज्ञ इन जांचों को बेहद सस्ती दरों पर करेंगे।
इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड
इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड के जरिए एक्सपर्ट गैस्ट्रेश्नल टैक्ट के अंदरुनी स्ट्रक्चर की साफ तस्वीर देख पाते हैं। पैंक्रियाज, बिलियरी ट्रैक्ट डिसीज के डायग्नोसिस में यह बेहद कारगर टूल है। इसके जरिए जांच के साथ ही टीश्यू का सैंपल भी बायोप्सी के लिए आसानी से लिया जा सकता है। बाइल डक्ट में स्टोन को डिटेक्ट भी किया जा सकता है। इसके लिए अभी मरीजों को सीटी स्कैन और पेट के अल्ट्रासाउंड की जांच करानी पड़ती है। प्राइवेट में इसके जरिए जांच और ट्रीटमेंट की लागत 10 हजार से 18 हजार रुपए तक आती है। इसी तरह ईआरसीपी जांच जोकि गैस्ट्रो के मरीजों के लिए बेहद अहम मानी जाती है। वह भी सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट में शुरू हो सकेगी। यह जांच लीवर,गालब्लैडर, बाइल डक्ट और प्रैक्रियाज में प्रॉब्लम्स को डायग्नोस करने में काफी फायदेमंद होती है।
वर्जन-
सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में कई स्पेशिएलिटी डिपार्टमेंट सजिृत हो रहे हैं। गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी की ओपीडी संचालित की जा रही है। इस अस्पताल में आईपीडी शुरू करने के लिए भी तैयारियां की जा रही हैं।
- प्रो। संजय काला, प्रिंसिपल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज