- एटीएस ने अपने पहले पर्चे में कानपुर के 8 लोगों को ऑनलाइन जेहादी बनाने की बात दर्ज की

- जेहादी बनाने के इलेक्ट्रानिक इविडेंस भी दिए गए, मिनहाज सोशल मीडिया पर रहता था एक्टिव

>kanpur@inext.co.in

KANPUR : मिनहाज को जम्मू के बारामूला में आतंकी कैंप में तकनीकी रूप से मजबूत बनाने की ट्रेनिंग दी गई है। इस दौरान सोशल मीडिया की बारीकियां भी सिखाई गई थीं। साथ ही जमीन पर बारूदी लाइन बिछाने में मिनहाज को महारत हासिल थी। इस मामले में इंट्रोगेशन कर रही एटीएस ने मंडे को कोर्ट में पहला पर्चा दाखिल किया। जिसमें दर्ज किया गया है कि कानपुर में गजवातुल हिंद को मजबूत करने का काम किया जा रहा था। जिन लोगों से मिनहाज और मसरुद्दीन के संपर्क थे, उनका इलेक्ट्रॉनिक इविडेंस भी दिया गया। कानपुर के 8 लोगों का जिक्र किया गया है। जिन्हें जेहादी बनाने के लिए ऑनलाइन क्लास से ट्रेनिंग दी गई थी।

पहले नकाब पहन कर मिलता

आपको बताते हैं कि ऑनलाइन ट्रेनिंग के दौरान मिनहाज क्या-क्या सिखाता था? कानपुर का जिक्र करते हुए एटीएस ने अपनी लिखा-पढ़ी में बताया कि पहले मिनहाज नकाब पहनकर मिलता था। तब तक वह नकाब में रहता था, जब तक ऑनलाइन ट्रेनिंग में शामिल होने वालों पर विश्वास न हो जाए। उसके पहले वह उनकी पूरी जानकारी अपने संगठन के लोगों से कराता था। पुख्ता करने के लिए वह खुद भी अपने तरीके से चेक करता था। जिसके बाद ही वह नकाब उतार कर सामने आता था। ट्रेनिंग शुरू करने पर पहले कट्टरवादी बनाया जाता था। उसके बाद दूसरे धर्म के लोगों के प्रति घृणा और नफरत भरी जाती थी। अपने धर्म का महत्व बताते हुए मरने पर जन्नत नसीब होने की बात कही जाती थी।

खुद को छिपाने की ट्रेनिंग

ट्रेनिंग के सेकेंड फेज में अपनी पहचान छिपा कर समाज के लोगों के साथ रहने का तरीका सिख्राया जाता था। अपने संगठन के लिए फंड इकट्ठा करना और संगठन के लोगों के लिए ऑपरेशन के दौरान मदद करना भी बताता था। इतना सब कुछ स्लीपिंग सेल्स की ट्रेनिंग में होता था। मिनहाज अपने लोगों से सोशल मीडिया पर संपर्क रखता था। वह स्लीपर सेल्स से फोन पर बात भी नहीं करता था। कानपुर आकर खुद पूरा प्लान समझाता था। जिसके बाद स्लीपर सेल्स अपने अपने टॉरगेट पर लग जाते थे।

गंगा पुल के पास था ठिकाना

कानपुर से उन्नाव की ओर जाजमऊ गंगा पुल के पास लगभग 10 साल पहले एक धर्म स्थल का निर्माण कराया गया। यहां मंडे देर शाम एटीएस की टीम पहुंची। आम दिनों में यहां लोगों का आना जाना रहता था। किलेनुमा बने इस धार्मिक स्थल को मिनहाज ने अपना ठिकाना बनाया था। मिनहाज ने इसके लिए काफी चंदा भी इकट्ठा किया था। एटीएस सूत्रों की माने तो यहीं पर मिनहाज अपने संगठन से जुड़े कानपुर, फतेहपुर और औरैया के लोगों के साथ अपने प्लान बनाता था। साथ ही उस प्लान को कैसे जमीन पर उतारना है, ये भी बताता था।