- 40 साल पुराने बहमई नरसंहार कांड में ओरिजनल केस डायरी कोर्ट में पेश नहीं कर पाने से तीसरी बार टला फैसला
- प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को दिए जांच के आदेश, 18 मार्च को केस डायरी व जांच रिपोर्ट के पेश होने को कहा
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KANPUR: देश के सबसे चर्चित और 39 साल से फैसले का इंतजार कर रहे बहमई कांड में तारीख पर तारीख का सिलसिला लंबा होता जा जा रह है। दो बार समय दिए जाने के बाद भी बेहमई नरसंहार कांड की मूल केस डायरी कोर्ट में पेश नहीं की जा सकी। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह के साथ डीजीपी को को जांच कराकर 18 मार्च से पहले मूल केस डायरी उपलब्ध कराने के आदेश दिए हैं। यानि मामले में अब अगली तारीख 18 मार्च दी गई है।
अधाधुंध फायरिंग कर दी थी
40 साल पहले 14 फरवरी 1981 को कानपुर के सिकंदरा थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में फूलन देवी, मुस्तकीम, रामऔतार व लल्लू गैंग में शामिल तीन दर्जन से ज्यादा डकैतों ने धावा बोला था। घरों में लूटपाट करने के बाद डकैतों ने 26 लोगों को गांव के बाहर ले जाकर लाइन से खड़ा किया और अधाधुंध फाय¨रग कर दी थी, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मामले में वादी राजाराम सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था।
छह जनवरी को आना था फैसला
24 अगस्त-2012 को पांच अभियुक्तों भीखा, पोसे उर्फ पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी उर्फ कृष्ण स्वरूप, श्याम बाबू व राम सिंह के खिलाफ आरोप तय होने के बाद कोर्ट में ट्रायल शुरू हो सका। 13 फरवरी 2019 को जेल में निरुद्ध बंदी राम सिंह की मौत हो गई, जबकि पोसा जेल में बंद हैं वहीं अन्य तीनों अभियुक्त जमानत पर हैं। मामले की सुनवाई एडीजे थर्ड विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित में चल रही है। कोर्ट ने छह जनवरी को फैसले की तारीख घोषित की थी, लेकिन ओरिजनल केस डायरी न होने के कारण फैसला टल गया था।
डेढ़ महीने से हो रही तलाश
कोर्ट ने डीएम व एसपी को मूल केस डायरी उपलब्ध कराने के आदेश दिए थे, लेकिन करीब डेढ़ माह बाद भी ओरिजनल केस डायरी नहीं मिल पाई। शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया कि अदालत ने प्रमुख सचिव व डीजीपी को जांच के आदेश देकर 18 मार्च से पहले मूल केस डायरी पेश कराने के आदेश दिए हैं।
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