कानपुर(ब्यूरो)। सिटी में बिना मानकों और लाइसेंस के अवैध रूप से सैकड़ों अस्पताल चल रहे हैं। जिनमें मरीजों को लूटने के साथ उनकी जान से खिलवाड़ का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। एक के बाद एक कई घटनाओं के बाद इस खेल पर डीएम का रुख सख्त हो गया है। डीएम के आदेश के बाद सख्त हुआ स्वास्थ्य विभाग अब तक आधा दर्जन के करीब अस्पतालों को सील कर चुका है। वहीं इससे ज्यादा नर्सिंग होम को नोटिस भी जारी की जा चुकी है। लेकिन इसके इतर अवैध हेल्थ सेंटर चलाने में नया खेल भी शुरू हुआ है। जिस पर स्वास्थ्य विभाग की नजर ही नहीं है। पॉलीक्लीनिक के नाम पर मेडिकल स्टोर से साठगांठ कर पूरा अस्पताल चलाया जा रहा है। नाम के पीछे नर्सिंग होम या हॉस्पिटल शब्द न होने पर अधिकारियों का ध्यान भी नहीं जाता। कल्याणपुर और नौबस्ता में ऐसे कई पॉलीक्लीनिक हैं जिनका कोई रजिस्ट्रेशन ही नहीं है। जबकि स्वास्थ्य विभाग में इनका रजिस्ट्रेशन भी जरूरी है।
आंकड़ों में समझे खेल
- 1204 प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम और क्लीनिक रजिस्टर्ड
- 1138 मेडिकल स्टोर्स भी रजिस्टर्ड हैं शहर में
इन इलाकों में सबसे ज्यादा अवैध प्राइवेट अस्पताल-
- कल्याणपुर शिवली रोड, कल्याणपुर पनकी रोड, बर्रा बाईपास, नौबस्ता-हमीरपुर रोड, चकेरी- फतेहपुर हाईवे।
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पाली क्लीनिक का खेल निराला
सिटी में जैसे जैसे मेडिकल स्टोर्स और डॉक्टर्स के बीच कमीशन का खेल बढ़ा है। वैसे वैसे पॉली क्लीनिक का कल्चर भी बढ़ा है। इसमें मेडिकल स्टोर में ही एक चेंबर बना कर डॉक्टर ओपीडी करते हैं। डॉक्टर को मरीज की फीस मिलती है। जबकि मरीज दवा उसी मेडिकल स्टोर से खरीदता है तो मेडिकल स्टोर की भी बिक्री होती है.कल्याणपुर, नौबस्ता, घाटमपुर क्षेत्र में ऐसे कई पाली क्लीनिक हैं। जोकि पहले सिर्फ मेडिकल स्टोर के नाम से खुले, फिर वहां डॉक्टर मरीज देखने लगे। फिर धीरे-धीरे पूरे नर्सिंग होम का रूप ले लिया लेकिन कहीं भी नर्सिंग होम या हॉस्पिटल नहीं लिखा होता। इस वजह से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
क्रिटिकल केयर और ट्रॉमा सिर्फ नाम का
कल्याणपुर पनकी रोड हो या फिर शिवली रोड से सटे इलाके मेंं खुले अवैध हॉस्पिटल यहां सिर्फ सामान्य मरीजों का ही इलाज नहीं किया जाता बल्कि यह अवैध रूप से आईसीयू व एनआईसीयू भी संचालित करते हैं। लेकिन न तो इनमें क्रिटिकल केयर के माकूल इंतजाम होते हैं और न ही कोई एनेस्थेटिस्ट इन अस्पतालों के आईसीयू में कभी जाता हैं। क्योंकि पहले से ही एनेस्थेटिस्ट की संख्या शहर में बेहद कम है। हाई डिपेंडेंसी यूनिट, एनआईसीयू को लेकर भी यह मानक पूरे नहीं करते। आईसीयू संचालन के लिए ट्रेंड आईसीयू स्टाफ व एनेस्थेटिस्ट की जरूरत होती है। बड़े अस्पतालों में काम कर चुके टेक्नीशियन व नर्सिंग कर्मचारी ही अवैध हॉस्पिटल्स में एनेस्थेटिक का काम करते हैं। जब कभी केस बिगड़ता है तो मरीज को रेफर करते हैं। कई बार मरीजों की मौत भी हो जाती है।
सरकारी डॉक्टर्स की प्रैक्टिस का रिकार्ड नहीं
कल्याणपुर, आवास विकास, पनकी क्षेत्र में ही कई सरकारी डॉक्टर्स भी प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। इसमें मेडिकल एजुकेशन और हेल्थ डिपार्टमेंट इन दोनों विभागों के सरकारी डॉक्टर्स शामिल हैं। इनमें से कुछ इन अवैध, बिना मानक के अस्पतालों में भी मरीजों का इलाज करने जाते हैं। ऐसे मरीजों को देखने के लिए यह सरकारी डॉक्टर हाथों हाथ फीस लेते हैं और एक से दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के दो डॉक्टर्स भी इसमें काफी सक्रिय हैं। सरकारी डॉक्टर होने के कारण अस्पताल के रिकार्ड में भी इनका पूरा नाम कभी नहीं आता। बीएचटी में जिक्र करना भी पड़े तो आधे या शार्ट नेम जैसे एसके पीके का जिक्र करते हैं।