विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्बल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि पैसों की कमी इस सुधरती स्थिति के आड़े आ रही है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि संतोष करके बैठने की गुंजाइश नहीं है।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक टीबी के ख़िलाफ़ लड़ाई में नए आँकड़ें एक अहम पड़ाव है। दुनिया की एक तिहाई आबादी टीबी से संक्रमित है। हालांकि इस कारण कम ही लोग बीमार पड़ते हैं। 2003 में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 18 लाख पहुँच गई थी लेकिन 2010 में ये 14 लाख रही।
पैसे की कमी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चीन में काफ़ी सुधार हुआ है जहाँ 1990 से लेकर 2010 के बीच मृत्य दर अस्सी फ़ीसदी घटी है। एचआईवी संक्रमण के कारण कीनिया और तनज़ानिया में टीबी संक्रमण भी काफ़ी बढ़ गया था लेकिन पिछले दशक में वहाँ भी टीबी के मामलों में गिरावट आई है।
स्थिति में सुधार को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त पैसे की ज़रूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि आगे कई चुनौतियाँ हैं, ख़ासकर 2012 में एक अरब डॉलर धनराशि की कमी है।
एक चुनौती है टीबी को वो रूप जिस पर विभिन्न तरह की दवाओं का असर नहीं होता। एक नए टेस्ट के आने से इसका पता चलना आसान होता जा रहा है लेकिन टीबी के इस रूप से संक्रमित कम लोगों का ही इलाज हो पाता है।
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