कानपुर(ब्यूरो)। विवेचनाओं के जल्द निस्तारण के लिए अब दारोगा हिंदी टाइपिंग सीख रहे हैैं। जी हां थानाक्षेत्रों में पडऩे वाले टाइपिंग स्कूलों में आजकल आपको आसानी से कीबोर्ड पर हाथ साफ करते खाकीधारी मिल जाएंगे। दरअसल चार साल पहले ये बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए ये फरमान शासन से जारी किया गया था, लेकिन सख्ती न होने की वजह से सब-इंस्पेक्टर्स भी लापरवाही करते रहे, साथ ही तमाम तरह के बहाने जैसे लैपटॉप या सिस्टम नहीं है, कोई सिखाने वाला नहीं है, समय नहीं हैैं कहां सीखें जाकरऐसे तमाम बहाने सामने आते दिखाई दिया। कुछ दिन पहले ही शासन से एक आदेश जारी किया गया कि जो सब-इंस्पेक्टर 15 दिन के अंदर हिंदी टाइप नहीं कर पाएंगे, उनकी सैलरी रोक दी जाएगी। सेलरी रोकने के डर से अब पुलिस कर्मी साइबर कैफे में दिखाई दे रहे हैैं।
सिपाहियों को दे रखी थी पर्चे काटने की जिम्मेदारी
कमिश्नरेट में तैनात इन सब- इंस्पेक्टर्स ने पर्चे काटने की जिम्मेदारी चौकी थाने में तैनात तेज तर्रार सिपाहियों को सौंप रखी थी। ये सिपाही पहले पर्चे लिखते थे, उसके बाद सब-इंस्पेक्टर्स को सुनाते थे, फिर करेक्शन किया जाता था और उसके बाद पर्चे काटे जाते थे। इस पूरी प्रक्रिया में दो दिन लगते थे, इसी तरह एक विवेचना के निस्तारण में कभी-कभी 30 दिन तो कभी कभी 45 दिन लग जाते हैैं, जिसकी वजह से लगातार पेंडेंसी बढ़ती जा रही है। पुलिस कमिश्नर की फटकार और नोटिस जारी करने के बाद से सब -इंस्पेक्टर जरूरी काम छोडक़र टाइपिंग सीखने में जुटे हैैं।
कम समय में गुणवत्तापूर्ण जांच पूरी हो, इसके लिए थाना स्तर पर उन दारोगाओं की लिस्ट बनाई गई है, जिनके पास ज्यादा विवेचनाएं हैैं। उन्हें जल्द से जल्द हिंदी टाइपिंग सीखने के लिए कहा गया है।
डॉ। आरके स्वर्णकार, पुलिस कमिश्नर