- हाईटेक हो रहे अपराधियों से अब हाईटेक तरीके से ही निपटेगी पुलिस, सीसीटीएनएस लैब में फीड की जा रही हर अपराधी की छोटी से छोटी जानकारी

- किस जिले और गैंग से संबंध, अपराध का तरीका, ब्लड ग्रुप, मोबाइल नंबर, फेसबुक आईडी से लेकर नशे की लत और बीमारी तक पता चल जाएगी

KANPUR : नए-नए अपराधी हाईटेक तरीके से वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में पुलिस के सामने इन क्रिमिनल्स की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। हालात ये हैं कि सीसीटीवी फुटेज होने के बाद भी पुलिस के हाथ बदमाशों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। पुलिस इस समस्या से निपटने की तैयारी में जुट गई है। आने वाले कुछ महीनों में ही पुलिस को इस परेशानी से निजात मिल जाएगी। पुलिस ने भी हाईटेक तरीके से हर क्रिमिनल की कुंडली तैयार करने का डिसीजन किया है। इस पर काम भी शुरू हो गया है। सीतापुर पुलिस अकादमी और मुरादाबाद पुलिस अकादमी में बनी सीसीटीएनएस लैब में इन क्रिमिनल्स की फीडिंग शुरू कर दी गई है। अपराध होने के बाद अब पुलिस को भटकना नहीं पड़ेगा। चंद सेकेंडों में क्रिमिनल की मामूली जानकारी होने पर पूरे गिरोह का सिजरा खुलकर सामने आ जाएगा। हर क्रिमिनल को इस तरह से कोड नंबर दिया जाएगा कि नंबर से ही पता चल जाएगा क्रिमिनल किस जिले का है, किस गैंग से संबंध रखता है, किस तरह के अपराध करता है, अपराध का तरीका क्या है, मोबाइल नंबर कौन सा यूज करता है, असलहा यूज करता है या नहीं। इसके अलावा उसके पूरे परिवार की कुंडली पता चल जाएगी।

सेकेंडों में होगा स्क्रीन पर

यूपी में किसी भी जिले में अपराध करने पर अगर क्रिमिनल की मामूली जानकारी भी पीडि़त दे देगा तो उसे कंपयूटर के सामने बिठाया जाएगा। उसके बताने के मुताबिक अपराधियों की तस्वीर दिखाई जाएगी। पुलिस स्पेशलिस्ट का अनुमान है कि एक, दो, तीन से लेकर दस तस्वीर तक पहुंचने पर आरोपी की पहचान हो जाएगी। इसके बाद शुरू होगी पुलिस की अलर्टनेस की परीक्षा। पुलिस बदमाशों की घेराबंदी शुरू कर देगी। पुलिस से घबराकर क्रिमिनल के पास केवल एक ही तरीका होगा। या तो अपराधी को पुलिस जेल भेज देगी या वह कोर्ट में सरेंडर कर जेल चला जाएगा।

मददगारों पर भी शिकंजा

पुलिस का मानना है कि इससे अपराध पर तो शिकंजा कसेगा ही, साथ ही जो युवा अपराध की दलदल में शौकिया कूद रहे हैं। उनकी संख्या पूरी तरह से कम हो जाएगी। पुलिस इन अपराधियों के मददगारों पर भी शिकंजा कसेगी। अपराध से कमाई संपत्ति पर केवल सरकार का अधिकार होगा। इस संपत्ति को जब्त कर सरकारी खजाने में शामिल किया जाएगा। इनके मददगारों की लिस्ट भी इनकी कुंडली में शामिल की जाएगी। कुल मिलाकर अपराधियों को चारों तरफ से घेरने की सरकार की कवायद है।

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रजिस्टरों से मिलेगी मुक्ति

किसी भी अपराधी की जानकारी करने के लिए थानों में रजिस्टर नंबर चार, आठ और दस होते हैं। यूं तो थानाक्षेत्र में हुए सभी अपराध रजिस्टर नंबर आठ में एल्फाबेटिकली दर्ज किए जाते हैं। लेकिन दूसरे जिलों के अपराधियों की जानकारी रजिस्टर नंबर 10 में अल्फाबेटिकली दर्ज की जाती है। साथ ही जो अपराधी छोटा अपराध करते हैं। उनका ब्यौरा रजिस्टर नंबर चार में दर्ज किए जाते हैं। किसी भी अपराधी की क्रिमिनल हिस्ट्री खंगालने के लिए तीन रजिस्टर खंगालने पड़ते थे। क्रिमिनल्स का डाटा इंट्री होने के बाद इन रजिस्टरों को भी मुक्ति मिल जाएगी। साथ ही क्रिमिनल हिस्ट्री तलाशने का काम भी कम हो जाएगा।

हैदराबाद में होगी ट्रेनिंग

क्रिमिनल्स का डाटा ऑनलाइन होने के बाद उसके गैंग तक पहुंचना भी आसाना होगा। केवल एक नंबर से पूरे गिरोह की जानकारी होने लगेगी। सीनियर ऑफिसर्स का मानना है कि सीसीटीएनएस में फीडिंग के बाद पुलिस की कवायद भी कम हो जाएगी। पुलिसकर्मियों को तकनीकी शिक्षा के लिए हैदराबाद की हाईटेक लैब में भेजा जाएगा। फीडिंग के लिए निजी कंपनियों की मदद ली जा रही है।

इस तरह होगी फीडिंग

चेन स्नेचर्स का कोड नंबर सीएस होगा। इसके बाद जिले का कोड लिखा जाएगा, कानपुर के लिए केएनसी, इसके बाद क्रिमिनल को एक नंबर दिया जाएगा। इसके बाद खुलने वाली 16 पन्नों की फाइल में क्रिमिनल की डिटेल जानकारी दर्ज की जाएगी।

-क्रिमिनल का नाम

-परिवार के हर शख्स का डिटेल

- कितने मोबाइल यूज किए जाते हैं

- कितने मेल आईडी, फेसबुक आईडी

- कौन रिश्तेदार सरकारी नौकरी में है

- क्रिमिनल कितनी बार जेल गया है

- उसकी जमानत किसने किसने ली

-चेहरे और शरीर पर कितने स्पॉट हैं

- ब्लड ग्रुप क्या है

- किसी नशे की लत या बीमारी

- हाथ पैर की अंगुलियों के प्रिंट

- पराध को अंजाम देने का तरीका

- उसकी सबसे बड़ी कमजोरी क्या है

- लाइसेंसी असलहा है या नहीं

-परिवार में कितने लाइसेंसी असलहे हैं

- प्रॉपटी कितनी है और किसके नाम है

क्रिमिनल्स का सीसीटीएनस पर रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है। जिससे पुलिस को आपराधिक मामलों को हल करने में मदद मिलेगी। साथ ही पुलिस का काम भी कुछ कम हो जाएगा।

राजीव कृष्णा, एडीजी, पुलिस अकादमी