अब कोई भी कंप्लेन थाने से गुम नहीं होंगी। इतना ही नहीं, कंप्लेन की मॉनिटरिंग कॉल सेंटर की तरह की जाएगी। दरअसल, अब एक जगह शिकायती पत्र देने पर उसे आधा दर्जन डेस्क पर अपलोड किया जाएगा। साथ ही आईजीआरएस पर तुरंत दर्ज किया जाएगा। इससे कम समय में शिकायतों का निस्तारण किया जा सकेगा। बताते चलें कि शिकायतों के निस्तारण में 47वीं रैंक आने के बाद कमिश्नरेट पुलिस का हौसला बढ़ा है। ऐसे में सैटरडे को समाधान दिवस पर हर अधिकारी ने अपने अपने जोन में लोगों की शिकायतें सुनीं। टॉप फाइव में आने की कवायद के लिए पुलिस अधिकारियों को एक-एक थाने का औचक निरीक्षण के लिए कहा गया है। शिकायतों को सुनकर उनकी ऑनलाइन फीडिंग के आदेश भी दिए गए हैैं।
फीडबैक डेस्क से मॉनीटरिंग
पुलिस ऑफिस में बनी फीडबैक डेस्क से हर शिकायत की मॉनीटरिंग की जाएगी। शिकायतकर्ताओं से पुलिस कर्मियों के व्यवहार की जानकारी भी ली जाएगी। अगर व्यवहार खराब पाया जाएगा तो उस पुलिस कर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। बीते दिनों इसी फीडबैक डेस्क की कंपलेंट पर कुछ पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी। इस डेस्क को और मजबूत किया गया है। इस पर काम करने वाले पुलिस कर्मियों को कॉल सेंटर की तर्ज पर टारगेट देकर मॉनीटरिंग के लिए कहा जाएगा।
कम समय में निस्तारण का टारगेट
कानपुर कमिश्नरेट को टॉप फाइव में आने के लिए जो प्लान बनाया गया है, उनमें सबसे पहले थाना पुलिस का व्यवहार सुधरना और शिकायतों का निस्तारण कम समय में होना टारगेट दिया गया है। शनिवार को पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार नवाबगंज थाने पहुंचे। उन्होंने ऑफिस के कागजात, मालखाना, महिला हेल्प डेस्क व सीसीटीएनएस को देखा। वहीं, लोगों की शिकायतें भी सुनी। एसीपी कर्नलगंज महेश कुमार को शिकायतें कम समय में निस्तारण करने के निर्देश दिए।
पीडि़तों को सम्मान पूर्वक बिठाएं
पुलिस कमिश्नर ने नवाबगंज थाना प्रभारी से भी कहा कि थाने में शिकायत करने आने वालों को सम्मानपूर्वक बिठाएं। समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुने और उनके निस्तारण करने के लिए पुलिसकर्मियों को तैनात करें। किसी भी हालत में थाना परिसर में आने वाले हर फरियादी को न्याय मिले और वह थाने से पुलिस की बदली हुई छवि लेकर जाए।
24 घंटे सुनी जाएंगी शिकायतें
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि थाने में शिफ्ट बदल-बदल कर इंस्पेक्टर, क्राइम इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की ड्यूटी शिकायत सुनने के लिए लगाई जाएगी, जिससे शिकायतकर्ता किसी भी समय आए, उसे निराशा हाथ न लगे। मारपीट के मामले में आम तौर पर देखा जाता है कि थानों में मेडिकल के लिए चिट्टïी मंजूरी देने में देर होती है और कभी कभी मेडिकल के लिए साथ जाने वाले पुलिस कर्मियों के इंतजार में घंटों बीत जाते हैैं। देर से मेडिकल होने की वजह से रिपोर्ट में परिवर्तन हो जाता है। इस लिए हर थाने में चार से पांच ऐसे दो-दो पुलिस कर्मियों की टीम बनाने के लिए कहा गया है जो पीडि़त के आने के एक से दो घंटे में मेडिकल करा सकेगी।
पहले सीसीटीवी चेक करें
अधिकारियों ने निर्देश दिए कि तहरीर मिलने पर सबसे पहले ये जांच करें कि घटनास्थल के आस पास कहीं कोई सीसीटीवी कैमरा लगा है, उसके फुटेज यूज करें और घटना की वास्तविकता की जानकारी करें, किसी एक पक्ष के कहने पर दूसरी पक्ष को नुकसान न हो और न ही पहले पक्ष को फायदा मिले।
शिकायतों के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए हर थानेदार से कहा गया है, शिकायतें आईजीआरएस पर लोड करें और किसी भी हालत में पीडि़त सैटिस्फाइड होकर ही थाने से जा सके, ऐसे निर्देश दिए गए हैैं।
हरीश चंदर, पुलिस कमिश्नर कानपुर कमिश्नरेट