ज्यादातर लोग इसे कल्पना की उडा़न कहेंगे लेकिन इस कल्पना की उड़ान को सच मान लीजिए। ब्रिटेन में इंजीनियरों की एक टीम ने ऐसी हाइब्रिड कार बनाने में काफी हद तक सफलता पा ली है, जो जमीन पर रॉकेट की रफ्तार से चलेगी।

ब्लडहाउंड सुपर सोनिक कार 42 फीट लंबी है और इसकी रफ्तार 1,610 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस कार में यूरोफाइटर के टाइफून जेट का इंजन लगाया गया है। साथ ही इसके साथ एक रॉकेट भी जोड़ दिया गया है। ये कार दुनिया भर की सड़कों पर हवा से बातें करने वाली तमाम कारों को पीछे छोड़ती नजर आएगी।

ब्लडहाउंड प्रोजेक्ट से जुड़े विंग कमांडर ग्रीन ने बीबीसी से इस ड्रीम कार पर विस्ता से बातचीत की। ग्रीन ने बताया कि इसी महीने ब्लडहाउंड टीम ने कार का फायरिंग टेस्ट तमाम देशों की मीडिया और प्रशंसकों से सामने किया।

सफल रहा रफ्तार का परीक्षण

ग्रीन बताते हैं ये परीक्षण सफल रहा और बिल्कुल वैसा ही था जैसा उन्होंने और उनकी टीम ने सोचा था। दरअसल, पहली बार इस हाइब्रीड कार का फायरिंग टेस्ट हुआ। जो अब तक हुए इस कार के परीक्षणों में से सबसे महत्वपूर्ण था। पहली बार इंजीनियरों की टीम ने तेज रफ्तार पंप का सहारा लेकर फायरिंग को अंजाम दिया। इसके लिए कॉसवर्थ फार्मूला वन इंजन का इस्तेमाल किया गया।

ग्रीन कहते हैं कि इस काम का सबसे ज्यादा श्रेय इंजीनयरिंग टीम को दी जानी चाहिए क्योंकि इससे आग उत्पन्न करने के लिए कम से कम 800 हॉर्स पावर की ताकत की जरूरत थी और ग्रीन इसे लेकर आश्वस्त नहीं थे लेकिन इंजीनियरों ने इसे संभव कर दिखाया।

ग्रीन मानते हैं कि फार्मूला-वन इंजन को गर्म कर पाना काफी कठिन काम था क्योंकि ये तब तक शुरू नहीं होता जबतक इंजन गर्म ना हो जबकि अक्तूबर महीने में ब्रिटेन का न्यूक्वे एयरपोर्ट काफी ठंडा रहता है।

इंजन को गर्म करने के लिए 80 परतों वाली सिल्वर ऑक्साइड को हाइड्रोजन पैरा-ऑक्साइड के साथ मिलाया गया और फिर उसमें पानी और ऑक्सीजन की मिलावट की गई। कुछ सेकेंड पश्चात इसमें 600 हार्स पावर की ऊर्जा उत्पन्न होने लगी जिसने हाइब्रिड रॉकेट में आग पकड़ाने में मदद की।

रॉकेट में आग पकड़ते ही उससे चमकीली नारंगी रोशनी निकलनी शुरू हुई जिसने आस-पास तूफान ला दिया। 10 सेकेंड के इस समय में जबतक रॉकेट से आग निकलती रही वहां लगे तमाम कैमरे इधर-उधर हो गए। हल्की और कमजोर वस्तुएं 200 मीटर की दूरी तक उड़ कर चली गईं।

ग्रीन कहते हैं، 'रॉकेट फायरिंग से जो आवाजें निकल रही थी वो संभवत उस दिन पृथ्वी पर होने वाले तमाम मानव निर्मित शोर में सबसे ज्यादा थी , और ये कार के पिछले हिस्से को उडा़ देने के लिए काफी है। इस पर आगे परीक्षण करना अभी बाकी है।

एक अनुमान के मुताबिक अगले साल तक इस सिस्टम को कार के अंदर फिट कर 2014 तक नीले और गहरे नारंगी रंग के ब्लैकहाउंड कार को पूरी तरह दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है। लेकिन इसके पहले कई और परीक्षणों से गुजरना होगा।

कार का ढांचा

इस कार का ढांचा तैयार करने में पांच कंपनिया लगी हैं। जो महज एक टन का होगा। हालांकि इसे बनाने में छह टन कच्चा माल लगेगा। कार को ज्यादातर स्टील और एल्यूमीनियम से बनाया जाएगा। मेटल से बने ढांचे जेट इंजन से पैदा होने वाली तेज गर्मी, कंपन को बर्दाश्त करने और रेगिस्तान की धूल से कार के नीचे के हिस्सों को घिसने से बचाने के लिए उपयुक्त होंगे।

रफ्तार अगर एक हज़ार मील प्रति घंटा होगी तो पहिए भी साधारण नहीं हो सकते। एक मिनट में दस हज़ार बार घूमने वाले ये पहिए ठोस एल्यूमीनियम से बनाए जाएंगे। इन पहियों को लगाने से पहले कार में कम गति पर चलने वाले पहिए लगाकर ब्रिटेन के एक रनवे पर उसकी जांच की जाएगी।

यानी 2008 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को सफल रूप में 2014 में देखने की उम्मीद की जा सकती है और कल्पना की दुनिया को साकार रूप दिया जा सकता है।

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