-11 महीने में 66 मामलों में 'विसरा' रिपोर्ट का इंतजार

- एफआर व चार्जशीट लगाने को विवेचक कर रहे रिपोर्ट का इंतजार

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kanpur : शहर और आस पास होने वाली 66 सनसनीखेज मर्डर के मामले ऐसे हैं। जिनमें पुलिस न तो फाइनल रिपोर्ट लगा पाई है और न ही चार्जशीट। वजह जानकार आपको थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा। इन मामलों में विधि विज्ञान प्रयोगशाला ने विसरा रिपोर्ट नहीं भेजी है। जिसकी वजह से विवेचकों को जांच में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विवेचक से लेकर वरिष्ठ अधिकारी तक रिमाइंडर भेज चुके हैं। इन मामलों में पीडि़त का परिवार लगातार अधिकारियों के दरवाजे नॉक कर रहे हैं। कई मामले सामने आए हैं। जिनमें रिमाइंडर भेजने पर रिपोर्ट 'सैंपल नो फाउंड' लिखकर भेजा गया है।

पहला मामला : चकेरी इलाके में मार्च 2020 में सनसनीखेज मर्डर का मामला सामने आया था। जिसमें मां बेटे की हत्या की गई थी। कमरे के अंदर डेडबॉडी मिली थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की सही वजह का पता नहीं चल पाया था। इस वजह से विसरा जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजी गई थी। इसके बाद से चकेरी के विवेचक तीन बार रिमांइडर भेज चुके हैं। इसके बाद भी रिपोर्ट नहीं आई। पांच दिन पहले आई रिपोर्ट में 'सैंपल नो फाउंड' लिखकर भेजा गया।

ूसरा मामला : बाबूपुरवा स्थित एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में मुनीम मिर्जापुर जिगना निवासी लवकुश यादव का संदिग्ध हालात में शव मिलने के मामले में हत्या की पुष्टि हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक हत्यारों ने मारपीट के बाद हाथ से गला घोंटकर उसकी हत्या की। पीठ और पेट मे अंदरूनी चोटें मिली हैं। इस पूरे मामले में विवेचक ने बिसरा रिपोर्ट जांच के लिए भेजी है। इसके बाद भी अभी भी रिपोर्ट नहीं आई है।

ीसरा मामला : बाबूपुरवा के ढकना पुरवा में कैटरिंग का काम करने वाली युवती की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई। भाई ने पड़ोस में रहने वाली सहेलियों पर गलत इलाज कराने और झाड़ फूंक कराने का आरोप लगाया है। पुलिस ने दोनों सहेलियों को पूछताछ के लिए थाने बुलाया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की सही वजह सामने न आने की वजह से विसरा जांच के लिए भेजा गया। इस केस में आठ दिन से ज्यादा बीत गए। जबकि इस मामले में अधिकारियों ने जल्द से जल्द निपटाने के आदेश दिए हैं। विवेचक भी विसरा रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।

चौथा मामला : फरवरी 2020 में महाराजपुर थानाक्षेत्र के टौंस चौराहे पर पिता पुत्र की डेडबॉडी मिली थी। दोनों की शिनाख्त पुलिस ने नर्वल निवासी सुरेंद्र और सुंदर के नाम से हुई थी। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह का पता नहीं चल पाया। जिसकी वजह से विसरा सुरक्षित कर जांच के लिए भेजा गया। 9 महीने पूरे हो गए। लेकिन विसरा रिपोर्ट नहीं आ सकी।

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क्या होता है विसरा

विसरा सैंपल की जांच फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री में ही होती है। किसी व्यक्ति का शव देखने पर उसकी मृत्यु संदिग्ध लगती है या उसे जहर देने की आशंका में रखा जाता है तो पोस्टमार्टम के समय उस व्यक्ति का विसरा सुरक्षित रख लिया जाता है। बाद में जांच कर पता लगाया जाता है कि उस व्यक्ति की मौत असल में कैसे हुई। सरल भाषा में बताएं तो मानव शरीर के अंदरूनी भाग फेफड़ा, किडनी, आंत को विसरा कहते हैं। किस अंग को कितना सुरक्षित रखना है ये भी निश्चित किया जाता है। मृतक के शरीर से 100 ग्राम खून, 100 ग्राम यूरीन, 500 ग्राम लीवर सुरक्षित रखते हैं। इसे सेचूरेटेड सॉल्ट सॉल्यूशन में सुरक्षित रखते हैं, जिससे की बाद में जांच करने पर सही रिपोर्ट सामने आ सके.

ये है नियम

किसी भी सनसनीखेज मर्डर या संदिग्ध मौत के मामले में फाइनल रिपोर्ट या चार्जशीट लगने में विसरा रिपोर्ट की अहम भूमिका है। इस रिपोर्ट को पोस्टमार्टम की तारीख के बाद तीन महीने के अंदर आ जाना चाहिए। जिससे मौत की सही वजह पता चल सके और मजबूती से आरोपियों के सजा दिलाई जा सके। लेकिन कभी लापरवाही तो कभी व्यस्तता की वजह से रिपोर्ट नहीं आ पाती है। जिससे मामले ठंडे बस्ते में चले जाते हैं।

3 जार में विसरा होता है सुरक्षित

पहला- पाचन तंत्र

दूसरा- ब्रेन, किडनी, लीवर

तीसरा- ब्लड सैंपल

कई मामलों में मौत की वजह सामने नहीं आती है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद विसरा रिपोर्ट जांच के लिए भेजी जाती है। रिपोर्ट समय पर न आने पर रिमाइंडर भेजा जाता है।

-डा। प्रीतिंदर सिंह, डीआईजी।