संस्था का कहना है कि ऐसा उसने बच्चों के परिवार में घरेलू विवाद को देख कर किया है। स्टेवेंगर की जिला अदालत जो कि शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई करने वाली थी उसने सुनवाई को आगे बढ़ा दिया है।
इसके पहले भारतीय बच्चों के माता पिता के बीच 'दाम्पत्य समस्याएँ' उठ खड़े होने की खबरें आईं थीं। स्थानीय बाल कल्याण अधिकारियों का कहना है कि भारतीय बच्चों के माता पिता उनका अच्छा ख्याल नहीं रख रहे थे। बच्चों के माता पिता, अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य इस आरोप से इनकार करते हैं।
'सांस्कृतिक अंतर'
जब बाल कल्याण सेवा ने बच्चों को लिया था, तब माता पिता ने कहा था कि नॉर्वे को बच्चों से ज्यादती होती इसलिए लग रही है क्योंकि भारत और नॉर्वे के बीच "सांस्कृतिक अंतर" है।
तीन साल के अभिज्ञान और एक साल की ऐश्वर्य को नॉर्वे के बच्चों की देखरेख करने वाली एक संस्था में भेज दिया गया था। नॉर्वे की बाल कल्याण संस्था को लगता था कि बच्चे अपने मां-बाप के पास खतरे में है।
बुधवार को भारतीय कूटनयिकों ने नॉर्वे जाने की योजना को भी माता पिता के बीच झगडे की खबर आने के बाद टाल दिया था। कुछ दिन पहले अदालत ने भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद यह कहा था कि वह बच्चों के लालन-पालन की जिम्मेदारी बच्चों के चाचा को सौंप सकती है।
स्टेवेंजर चाइल्ड वेल्फेयर सर्विस ने एक बयान में कहा कि ऐसा करने से बच्चे भारत भी वापस जा सकेंगे। ये मामला भारत और नॉर्वे के बीच कूटनयिक विवाद बन गया जिसमें भारत की मांग थी कि बच्चों को अपने देश की संस्कृति और माहौल में पलने-बढ़ने का मौका दिया जाना चाहिए।
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