कानपुर (ब्यूरो) नूरुल ने पुलिस को बताया कि दिसंबर 2016 में एक मस्जिद में आतिफ से मुलाकात हुई थी। धीरे धीरे नजदीकियां बढऩे लगीं। एक दिन आतिफ ने नूरुल की कमर में लगी पिस्टल देखी तो उससे पिस्टल दिलाने को कहा। पिस्टल और 32 बोर के कारतूस आतिफ ने मांगे थे। जिसे नूरुल ने 3650 रुपये प्रति डिब्बी के हिसाब से दिलवा दिए थे। कुछ दिन बाद आतिफ ने 20 डिब्बी कारतूस की मांग कर दी जिसे उसने चिंटू से बात करके 4200 रुपये प्रति डिब्बी के हिसाब से दिलवा दिए। धीरे धीरे आतिफ और नूरुल के बीच अवैध असलहे का कारोबार फलने फूलने लगा। आतिफ नूरुल से वेपन और बुलेट लेकर अपने आतंकी साथियों और स्लीपर सेल्स को देने लगा। इसी बीच आतिफ दो लडक़ों को लेकर आया, जिसमें एक की तस्वीर सैफुल्लाह से मिलती बताई गई। दोनों को पिस्टल देने की बात कही गई।

5000 कारतूस की मांग की थी

नूरुल ने बताया कि आतिफ ने सैफुल्लाह के साथ आकर उससे 5000 कारतूस और 10 पिस्टल मांगी थीं। इसी दौरान नूरुल को जानकारी हुई कि सैफुल्लाह और आतिफ आतंकी हैैं। जिसके बाद उसने पिस्टल देने से मना कर दिया। नूरुल ने बताया कि आतिफ और सैफुल्लाह उसकी तलाश कर रहे थे, लेकिन वह बेकनगंज छोडक़र कानपुर के बाहर चला गया था। नूरुल के मुताबिक उसे डर था कि कहीं उसका नाम भी आतंकवादियों के साथ न जोड़ दिया जाए। मार्च 2017 को जब सैफुल्लाह का एनकाउंटर हो गया। तब कहीं जाकर वह कानपुर आया और थाना पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी।

आसपास के जिलों में की सप्लाई

नूरुल ने पुलिस को बताया कि सैफुल्लाह और आतिफ आस पास के जिलों में भी पिस्टल की सप्लाई करते थे। वह इन दोनों को पिस्टल तीन से पांच हजार रुपये में दे देता था। जबकि ये लोग आगे उसे कितने में बेचते थे, उसे जानकारी नहीं है। नूरुल ने इस पूरे प्रकरण में चिंटू से कारतूस सप्लाई की बात बताई थी, इस पूरे प्रकरण में चिंटू का पता नहीं चल सका। एजेंसी का अनुमान है कि चिंटू पूरे प्रकरण के बाद देश के बाहर चला गया।