-बिकरू कांड में पुलिस की लापवाही चरम पर
- एसटीएफ ने एक मार्च को विकास दुबे के मददगारों को किया था गिरफ्तार, बरामद किए थे असलहे
- जिला पुलिस तय नहीं कर पा रही किस थाने में दर्ज की जाए एफआईआर, केस दर्ज न होने से जांच लटकी
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KANPUR : बिकरू कांड में दहशतगदरें के मददगारों के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है। लिहाजा जांच भी ठप पड़ी है। इतने बड़े मामले में भी पुलिस की लापरवाही चरम पर है। अफसर ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि आखिर किस थाने (पनकी या चौबेपुर) में एफआईआर की जाये? हालांकि एसटीएफ अपने स्तर से जांच को आगे बढ़ा रही है। जिससे बेची गई सेमी ऑटोमैटिक राइफल और डबल बैरल बंदूक बरामद की जा सके। कई और मददगार भी हत्थे चढ़ सकते हैं।
संशय बरकरार
एक मार्च को एसटीएफ ने बड़ा खुलासा किया था। बिकरू कांड को अंजाम देने वाले विकास दुबे, अमर और प्रभात मिश्रा को वारदात के बाद शरण देने वाले छह मददगारों व एक असलहे के खरीदार को गिरफ्तार किया था। असलहों का जखीरा भी बरामद किया था। आरोपियों की गिरफ्तारी पनकी क्षेत्र से हुई थी। एसटीएफ ने मामले में आर्म्स एक्ट के तहत पनकी थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। मगर बिकरू कांड के आरोपियों को शरण देने का मामला पुलिस को दर्ज कराना है। पुलिस तय नहीं कर पा रही है कि ये केस चौबेपुर में दर्ज करें या पनकी थाने में। इसलिए इस पर संशय बरकार है। पुलिस की कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है।
पीछे क्यों हट रही पुलिस
बिकरू कांड में पुलिस का रवैया कई तरह से सवालों के घेरे में रहा है। विकास समेत छह आरोपियों के एनकाउंटर और 36 आरोपियों को जेल भेजने तक ही पुलिस की कार्रवाई सीमित रही। आगे ये भी तफ्तीश करने की जहमत पुलिस ने नहीं उठाई कि आखिर बदमाशों को पनाह किसने दी और उनके हाईटेक असलहे कहां हैं? इस पहलू पर भी एसटीएफ ने काम किया और बड़ा खुलासा किया। वहीं अब केस दर्ज कराने में इतना समय पुलिस लगा रही है।
बदमाशों को शह और शरण देने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मामले में तत्काल केस दर्ज करने का आदेश दिया गया है। जल्द एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई होगी।
- मोहित अग्रवाल, आईजी रेंज कानपुर