- जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की क्लीनिकल सोसाइटी की सीएमई में दी गई वायरस के बारे में जानकारी
KANPUR: केरल में खतरनाक निपाह वायरस के असर से हुई मौतों के बाद पूरे देश में इसको लेकर अलर्ट जारी किया गया है। इस वायरस को लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की क्लीनिकल सोसाइटी की तरफ से शनिवार को एक सीएमई का आयोजन किया गया।
1999 में मलेशिया ,सिंगापुर में
सीएमई में मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। सौरभ अग्रवाल ने निपाह वायरस के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 1999 में मलेशिया ,सिंगापुर में सुअर पालक इस वायरस के असर से बीमार पड़े। जिसके बाद 300 से ज्यादा लोग इसके असर से बीमार पड़े जिनमें से 100 की मौत भी हो गई। इसके बाद 2001 में बांग्लादेश में इस वायरस का असर दिखा। वहीं डॉ। कुनाल सहाय ने कहा कि इस वायरस का इंफेक्शन सुअर से चमगादड़ से या किसी एनआईवी इंफेक्टेड मरीज के जरिए होता है। भारत में जो इस वायरस से जुड़े तो केस सामने आए हैं। उनसे पर्सन टू पर्सन कांटेक्ट ही इंफेक्शन का कारण है।
आरटीपीसीआर और एलाइजा जांच से पुष्टि
निपाह वायरस के इंफेक्शन से मरीज को इंसेफलाइटिस के लक्षणों के साथ तेज बुखार आता है। इसका असर 2 से 3 दिनों में ही दिखने लगता है। 14 दिनों में मरीज की स्थिति बेहद खराब हो जाती है। इसकी पहचान के लिए मरीज की लार के सैंपल की आरटीपीसीआर जांच और एंटीबॉडी एलाइजा जांच की जरूरत पड़ती है।