कानपुर(ब्यूरो)। जल ही जीवन है। लेकिन इसे पैदा नहीं किया जा सकता। यह हमें नेचुरल नेचुरल सोर्सेज से मिलता है। गर्मी आते ही शहर के कई इलाकों में जल संकट शुरू हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण है पानी की बर्बादी। हमारों घरों, सोसाइटी, होटल, स्कूल, ऑफिसेस में लीकेज, ओवरफ्लो व कई अन्य तरीकों से रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। ऐसे में इस बर्बादी को रोकने के लिए सीएसजेएम यूनिवर्सिटी के इनोवेशन फाउंडेशन की इंक्यूबेटेड कंपनी फ्लोटा ने दो डिवाइस तैयार की हैं।
डोमेस्टिक व इंडस्ट्रियल
इनमें से एक डिवाइस को डोमेस्टिक और इंडस्ट्रियल यूज के लिए अलग अलग सेगमेंट में बांटा गया है। पहले चरण में सीएसजेएमयू के गल्र्स और ब्वायज हास्टल के वाटर टैैंक में ट्रायल के तौर पर इसे लगाया गया था जो कि सक्सेस हुआ है। अब पूरे सीएसजेएमयू कैंपस को जीरो वाटर वेस्टेज बनाने पर काम स्टार्ट हो गया है। वहीं दूसरी डिवाइस इंडस्ट्रियल परपज से जो पानी की क्वालिटी को कंट्रोल करेगी।
ये टेक्नोलॉजी यूज की
कंपनी के सीईओ भुवन भाटिया ने बताया कि डिवाइस में इंटरनेट आफ थिंग्स (आईओटी), आटोमेशन, लोरा बेस वायरलेस टेक्नोलॉजी, सेंसर और सोलोनाइड वाल्व समेत कई चीजों का यूज किया गया है।
यह हैैं डिवाइस के फीचर
पहली डिवाइस का नाम स्मार्ट वाटर डिवाइस है। यह डिवाइस घरों में पानी की टंकी खाली होने पर पंप को ऑटोमैटिकली चालू और भरने पर बंद कर देती है। न कोई अर्लाम बजता है और आपको स्विच ऑन और ऑफ करने की जरूरत पड़ती है.इसके अलावा इंडस्ट्री और हाउसिंग सोसाएटी के लिए इंटीग्रेटेड सेंट्रलाइज्ड स्मार्ट वाटर सिस्टम बनाया गया है। यह सिस्टम 10 किलोमीटर के एरिया को कवर करेगा। इसमें पानी की टंकी खाली होने पर खुलने और भरने पर बंद होने के अलावा वाटर प्यूरीफिकेशन के लिए क्लोरीन आदि के टैैंक से कनेक्ट होने के चलते उसको शुद्ध करने वाले तत्वों को भी मिलाएगी। यह सोसाइटी और अपार्टमेेंट्स में काफी यूजफुल होगी।
बिजली खर्च का डाटा भी
उसके अलावा पानी और बिजली के खर्च का डाटा भी सेव होगा। साथ ही कहीं भी लीकेज होने पर रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर में नोटिफिकेशन आ जाएगा। दोनों डिवाइसेस में पानी की गुणवत्ता भी साफ्टवेयर के जरिए कनेक्टेड स्क्रीन में नजर आएगी, जिसमें टीडीएस और पीएच समेत कई चीजें हैैं। दोनों डिवाइस पंप चालू और बंद करने समेत कई मैन पावर को भी बचाएंगी।
लीकेज होने पर नहीं खोदनी पड़ेगी रोड
कंपनी के सीईओ ने बताया कि आईआईटी के साथ मिलकर एक ऐसी डिवाइस बनाने पर काम चल रहा है जो कि सडक़ों में पड़ी वाटर लाइन लीकेज होने पर उसको रिपेयर करने के लिए सडक़ को खोदना नहीं पड़ेगा। पाइप में सेंसर लगाए जाएंगे जो कि एक स्मार्ट मीटर के जरिए लीकेज वाले स्थान का पता लगाएगी। इस काम में आईआईटी के प्रो। जे रामकुमार इनके मेंटर हैैं।
इनका स्टार्टअप है फ्लोटा
सिटी के लाजपत नगर के रहने वाले फ्लोटा के सीईओ भुवन भाटिया ने बताया कि पंजाब यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद एक कंपनी में नौकरी की। कुछ समय बाद यूएसए नौकरी करने गए। वहां से रकम जोडक़र खुद का स्टार्टअप शुरू किया है। यह स्टार्टअप नेस्कॉम में भी सिलेक्टेड है। इनकी कंपनी में अरुण भाटिया और अवनीश बाजपेई भी शामिल हैैं।
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यह हैैं डिवाइस के फीचर
-वाटर पंप को ऑटोमैटिकली चालू और बंद कर देगी
-वाटर प्यूरीफिकेशन के लिए क्लोरीन आदि मिलाएगी
- पानी और बिजली के खर्च का डाटा भी सेव होगा।
-लीकेज होने पर रजिस्टर्ड मोबाइल पर नोटिफिकेशन
- पानी की गुणवत्ता भी साफ्टवेयर के जरिए दिखेगी
- इनमें टीडीएस और पीएच समेत कई चीजें हैैं
- दोनों डिवाइस के यूज से मैन पावर की बच होगी