- कार्डियोलॉजी की तर्ज पर ही न्यूरो साइंस सेंटर को भी इंस्टीट्यूट बनाने की पहल, ऑटोनमस बॉडी की तरह ले सकेगा डिसिजन
- शासन स्तर से की गई पहल, पेशेंट्स सुविधाओं में इजाफे के लिए काम शुरू, न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में भी आएगी नई फैकल्टी
- ब्रेन और स्पाइन के पेशेंट्स को मिलेगा सीधा फायदा, अलग स्टाफ और बजट होने से हर तरह की एडवांस सर्जरी हो सकेगी
KANPUR: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंस सेंटर को एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी की तरह डेवलप करने पर काम शुरू हो गया है। शासन स्तर से खुद इसके लिए पहल हुई है। इंस्टीट्यूट बनने से यह ऑटोनमस बॉडी की तरह वर्क करेगा। बजट से लेकर रिसर्च वर्क तक कई डिसिजन संस्थान खुद ले सकेगा। जिसका सीधा फायदा ब्रेन और स्पाइन के पेशेंट्स को मिलेगा। वैसे भी अब बेहद जटिल ब्रेन और स्पाइन सर्जरी के लिए एसजीपीजीआई या केजीएमयू की दौड़ खत्म हो चुकी है। पेशेंट्स के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए काम कमिश्नर की पहल भी शुरू हुआ है।
एडवांस सर्जरी की भागदौड़ कम
न्यूरो साइंस सेंटर में अब एडवांस न्यूरो और ट्रॉमा सर्जरी के लिए लखनऊ और दिल्ली की भागदौड़ कम हो गई है। यहां तक कि स्पाइन की सर्जरी इंडोस्कोपिक डिसेक्टमी की सुविधा तो अभी एसजीपीजीआई में भी नहीं है उसे यहां शुरू किया गया। इसके अलावा परक्यूटेनियस स्पाइनल फ्यूजन जैसी बेहद जटिल सर्जरी के भी 20 से ज्यादा केसेस सक्सेसफुली ऑपरेट हुए। संस्थान को न्यूरो सर्जरी के मामले में सेंटर फॉर एक्सीलेंस की तरह डेवलप करने की तैयारी है। इसके लिए ओटी में इंडोस्कोपिक, माइक्रोस्कोपिक सर्जरी के एडवांस उपकरणों की खरीद की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है।
पेशेंट केयर के लिए बेहतर फैसेलिटीज
न्यूरो साइंस सेंटर में पेशेंट केयर के लिए नई सुविधाएं देने पर जोर है। यहां के सारे वार्ड पहले से ही एयरकंडीशंड हैं। और हर बेड पर लिक्विड ऑक्सीजन की सुविधा है। इसे और बढ़ाते हुए पेशेंट के साथ आने वाले तीमारदारों के लिए अलग शेड बनाया जाएगा। इसके अलावा आयुष्मान योजना के लाभार्थियों के लिए न्यूरो सर्जरी व न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डेडीकेटेड वार्ड को शुरू किया जा रहा है।
न्यूरोलॉजी में आएगी नइर् फैकल्टी
मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और न्यूरोलॉजिस्ट रहे प्रो.नवनीत कुमार के ट्रांसफर होने के बाद न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट की हालत खराब हो गई। सिर्फ एक एसोसिएट प्रोफेसर के भरोसे चल रहे इस डिपार्टमेंट में 70 फीसदी तक पेशेंट कम हो गए। इसे देखते हुए अब संविदा पर दो न्यूरोलॉजिस्ट की नियुक्ति की तैयारी है। यह नियुक्ति प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर होगी।
अब ये टिपिकल सर्जरी भी शुरू-
- मिनिमल इनवेसिव स्पाइन सर्जरी
- इंडोस्कोपिक डिसेक्टमी (डिस्क के ऑपरेशनन)
- परक्यूटेनियस स्पाइनल फ्यूजन (स्किन पर बिना चीरे के स्पाइन फ्यूज करने की सर्जरी)
- सीवी जंक्शन अबनोर्मेलिटी (गले में रीढ़ की हड्डी की सर्जरी)
- माइक्रो न्यूरो सर्जरी
- स्टीरियो टेक्टिक सर्जरी
न्यूरो साइंस सेंटर एक नजर में -
- एलएलआर कैंपस में 2014 में शुरू हुआ था सेंटर का निर्माण
- न्यूरो लॉजी और न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट हुए शुरू
- एयरकंडीशंड बिल्डिंग में दोनों डिपार्टमेंट, 26-26 बेड के वार्ड, ओटी, पीओपी वार्ड
- न्यूरो सर्जरी में 4 फैकल्टी मेंबर्स, न्यूरोलॉजी में एक एसोसिएट प्रोफेसर
- डीएम और एमसीएच की 2-2 सीटों पर अगले सेशन से पढ़ाई
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न्यूरो साइंस सेंटर क्यों अहम-
- ट्रामा के लिहाज से 4 नेशनल हाईवे और एक एक्सप्रेस से जुड़ा शहर
- 12 डिस्ट्रिक्ट से आने वाले न्यूरो और स्पाइन के केसेस के लिए टर्सरी केयर की सुविधा
- सेंटर शुरू होने के तीन साल में 40 फीसदी तक बढ़े स्पाइन और न्यूरो के मामले
-10 हजार पेशेंट्स से ज्यादा की ओपीडी बीते साल
- हर रोज 15 से 20 पेश्ेांट्स का एडिमशन
- अब स्पाइन और न्यूरो की एडवांस सर्जरी की सुविधा
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वर्जन-
न्यूरो साइंस सेंटर को इंस्टीट्यूट बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। कमिश्नर ने सेंटर में सुविधाएं बढ़ाने के लिए पहल की है। सेंटर पर पेशेंट्स का भरोसा लगातार बढ़ा है। यही वजह है यहां अब कई जटिल सर्जरी भी हो रही हैं।
- डॉ.मनीष सिंह,एचओडी, न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट
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इंस्टीट्यूट बनने से होंगे ये फायदे
- संस्थान को मिलेगी ऑटोनामी, डायरेक्टर की नियुक्ति होगी
- ज्यादातर डिसिजन खुद ले सकेंगे, अप्रूवल की जरूरत नहीं होगी
- इंस्टीट्यूट का अपना बजट होगा, हैलट के बजट पर निर्भर नहीं रहेगा
- अपना नर्सिग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ होगा
- रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा, सीधे कोलाबरेशन कर सकेंगे