पश्चिमी नेपाल के पोखरा शहर की छोरेपाटन पुलिस चौकी पर तीन महीने पहले सभी महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। और आज वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अपने फ़ैसले से काफ़ी ख़ुश हैं।

कसकी के ज़िला पुलिस प्रमुख यादव राज खनाल ने बताया, "वे काफ़ी अच्छा काम कर रही हैं। हमने स्थानीय लोगों से बात की है और उनका काम उस चौकी पर तैनात पुरुष पुलिसकर्मियों से बेहतर रहा है."

इस चौकी की 20 महिला पुलिसकर्मियों का नेतृत्व सब इंस्पेक्टर गीता राणाभट कर रही हैं। वे कहती हैं, "ये हमारे लिए बहुत अच्छा मौक़ा है। लेकिन ये एक चुनौती भी है."

चुनौती

वास्तव में ये चुनौती छोटी नहीं है। छोरेपाटन पुलिस चौकी के पुलिसकर्मियों को आसपास के गाँवों के क़रीब 27 हज़ार लोगों की सुरक्षा ज़रूरतों का ख़्याल रखना पड़ता है।

कांस्टेबल परमेश्वरी नेपाली ने बताया, "पहले हमें पुरुष सहकर्मियों के साथ काम करना पड़ता था। यहाँ हम सभी महिलाएँ हैं। ये एक अलग तरह का अनुभव है। हम इसका आनंद ले रहे हैं."

ये महिला पुलिसकर्मी इलाक़े की गश्त करती हैं, अपनी पुलिस चौकी की सुरक्षा करती हैं और साथ ही इन पर अपराध पर नियंत्रण रखने और जाँच की भी ज़िम्मेदारी है। वास्तव में प्रशासन ने छोरेपाटन पुलिस चौकी को लेकर एक ख़ास लक्ष्य रखा था।

सराहना

पुलिस उप महानिरीक्षक उपेंद्रकांत अरयाल कहते हैं, "नेपाल पुलिस में महिलाओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। अभी तक ऐसी पुलिस चौकियाँ हुआ करती थी, जिनमें ज़्यादातर पुरुष और कुछ महिलाएँ काम करती थी। हम ये देखना चाहते थे कि कैसे सिर्फ़ महिलाकर्मियों वाली पुलिस चौकी काम करती है."

बीबीसी संवाददाता नारायण कार्की का कहना है कि इस पुलिस चौकी की हर तरफ़ से सराहना हो रही है। स्थानीय लोग भी काफ़ी ख़ुश हैं। एक स्थानीय निवासी सुषमा पौडेल ने कहा, "हम महिला पुलिसकर्मियों के काम से संतुष्ट हैं। वे सामाजिक सुधारों में भी शामिल हैं."

छोरेपाटन देश की एक हज़ार से ज़्यादा पुलिस चौकियों में से ऐसी पहली चौकी है, जहाँ ये अनूठा प्रयोग हुआ है। नेपाल पुलिस में इस समय 60,000 लोग काम करते हैं, जिनमें से सिर्फ़ 3500 महिलाएँ हैं।

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