नेपाल के शहर पोखरा के नज़दीक भालम गावं में खुला यह कुकुरमुत्ता स्कूल नेपाल में किसानों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस स्कूल के टीकाराम अर्याल कहते हैं, "हमारे स्कूल में आने के बाद किसानों को कुकुरमुत्तों के भिन्न प्रजातियों के बारे में जानकारी मिलती है."
'मिराज एग्रो- नेपाल का पहला कुकुरमुत्ता स्कूल' के नाम से चलने वाला यह केंद्र हाल के दिनों में 40 किसानों को प्रशिक्षित कर चुका है। किसानों को कुकुरमुत्ता उगाने के तरीके सिखाने के अलावा इस स्कूल में उन्हें यह भी बताया जाता है कि उनके लिए सही होगा कि वो एक ही तरीके के कुकुरमुत्ते उगायें।
एक ही तरीके कुकुरमुत्ते उगाने से न केवल फसल बेहतर होती है बल्कि किसानों की आय भी अधिक होती है। ज़्यादातर किसान शीताके किस्म के कुकुरमुत्ते उगाना चाहते हैं क्यों की स्थानीय बाज़ारों में कम मिलते हैं जिसकी वजह से ज़्यादा पैसे कमाए जा सकते हैं।
शीताके किस्म के कुकुरमुत्ते 1000 रूपये प्रति किलो तक बिकते हैं।
स्कूल के संस्थापकों में से एक रेशम ग्यावली कहते हैं की स्कूल में कई किस्म के कुकुरमुत्ते उग रहे हैं और यहाँ करीब एक हज़ार लकड़ी के लठ्ठों पर शीताके किस्म के कुकुरमुत्ते उग रहे हैं। स्कूल को उम्मीद है की उसकी फसल इस साल करीब एक करोड़ रुपयों में बिक जायेगी।
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