कानपुर (ब्यूरो)। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कोर्ट ने सोमवार को नौ वर्षीय बालक की दुराचार के बाद हत्या के दोषी को मृत्युदंड का फैसला सुनाया। जिले में पॉक्सो एक्ट में सबसे कम दिनों में मृत्युदंड का यह पहला मामला है। दोषी सैफ मूल रूप से कानपुर (केडीए कॉलोनी, जाजमऊ) का रहने वाला है और मथुरा में बालक के परिजनों द्वारा दिए गए मकान में ही रहता था।
8 अप्रैल 2023 को लापता
आठ अप्रैल 2023 की शाम बालक गायब हो गया था। पिता ने गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस व परिजनों ने सीसीटीवी खंगाले तो उसमें बालक ताऊ की दुकान पर एकाउंटेंट का काम करने वाले मोहम्मद सैफ के साथ जाता दिखाई दिया। पूछताछ में सैफ ने दुराचार के बाद पहचान उजागर होने के डर से लोहे की स्प्रिंग से बालक की गला दबाकर हत्या की वारदात स्वीकारी। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर बालक का शव बरामद कर लिया।
28 अप्रैल को चार्जशीट
स्पेशल डीजीसी पॉक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु ने बताया कि पुलिस ने 28 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट में मामले की त्वरित सुनवाई हुई। 11 दिन में 14 लोगों की गवाही कराई गई। न्यायाधीश रामकिशोर यादव ने दोषी को मृत्युदंड के साथ अलग-अलग धाराओं में एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसी कोर्ट ने बालिका से रेप और हत्या के मामले में पूर्व में 36 दिन में मृत्युदंड दिया था।
शैतान को फांसी की सजा जायज
मासूम बच्चे के साथ दङ्क्षरदगी के बाद उसकी हत्या करने वाले आरोपी को मिली मौत की सजा बिल्कुल जायज है। अदालत ने सैफ को जो भी सजा सुनाई वह उससे कम सजा का वह हकदार नहीं था। ये कहना है मथुरा में बच्चे से दुराचार के आरोपी सैफ के रिश्तेदारों व पड़ोसियों का।
2016 से पहले जाजमऊ में रहता था सैफ
मूलरूप के मऊ के कोपागंज निवासी मोहम्मद सैफ अपने परिजनों के साथ 2016 से पहले जाजमऊ के केडीए कालोनी में किराये पर रहता था। उनके एक रिश्तेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सैफ के परिवार में पिता मोहम्मद तसव्वर, मां तनवीर सुरईया, दो बड़े भाई इमरान व कामरान, छोटा भाई जैद और एक शादीशुदा बहन है। उनका परिवार कानपुर के जाजमऊ में अलग-अलग मकानों में सात से आठ साल तक किराये पर रहा था।
भाई एनआईए में कांस्टेबल
2016 में पूरा परिवार मथुरा में रहने के लिए चला गया। सैफ का भाई इमरान एनआईए में कांस्टेबल है। कामरान बाउंसर और जैद मेडिकल लाइन में काम करता है। सैफ की चार साल पहले शादी भी हो चुकी है। उसकी एक बच्ची भी है। आरोपी पहले सऊदी अरब में किसी होटल में काम करता था। रिश्तेदारों ने बताया कि पीडि़त परिवार से ही आरोपी के परिजनों ने मथुरा के औरंगाबाद में मकान खरीदा था। वहीं सऊदी से आने के बाद सैफ पीडि़त की दुकान में ही काम करता था। इस दौरान आरोपी ने अपने मालिक के बड़े भाई के बेटे से कुकृत्य कर उसकी हत्या कर दी।
आरोपी के परिजनों ने नहीं की पैरवी
सैफ के रिश्तेदार ने बताया कि उसकी वजह से उनके पूरे परिवार को बेइज्जती की वजह से मथुरा छोडऩा पड़ा। आरोपी के मां और पिता बड़े बेटे इमरान के साथ लखनऊ में रहने लगे है। जबकि परिवार के अन्य सदस्य दूसरी जगह रह रहे है। आरोपी की दरिंदगी की वजह से परिवार के किसी भी सदस्य ने अब तक उसकी पैरवी नहीं की है। ना ही वे लोग आगे भी इस मामले में किसी तरह की पैरवी करेंगे।