कानपुर (ब्यूरो): शहर में मच्छरों का आतंक शुरू हो गया है, लेकिन नगर निगम अभी नींद से नहीं जागे हैं। नगर निगम का दावा है कि एक जुलाई से अभियान चलाकर लार्वा नष्ट किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि फॉगिंग सिर्फ कागजों में ही हो रही है। आपको जानकार हैरानी होगी है कि सिर्फ फॉगिंग के लिए नगर निगम हर साल 60 से 65 लाख रुपये खर्च करता है यानि पर डे दो लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। इतना ही नहीं, हेल्थ डिपार्टमेंट को भी मच्छर मारने के लिए लाखों रुपए के केमिकल शासन की तरफ से उपलब्ध कराए जाते हंै, लेकिन यह बजट और केमिकल यानी की दवाएं कहां जाती है, किसी को नहीं पता। चिंता वाली बात है कि नगर निगम के इस करप्शन की वजह से कानपुराइट्स हर साल डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं, इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने आंखें मूंद रखी हैं। ऐसे में ये हमारा नहीं, कानपुराइट्स का सवाल है कि मच्छरों से जंग के लिए बजट तो भरपूर है, लेकिन यह जाता कहां है हुजूर।


नगर निगम की 6 तो हेल्थ डिपार्टमेंट की 42 टीमें
मच्छरों से जंग लडऩे के लिए नगर निगम निधि से हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन सिटी में मच्छरों को मारने के लिए की जाने वाली फॉगिंग नहीं दिखाई देती है। जबकि डेंगू समेत संचारी रोगों पर अंकुश लगाने के लिए नगर निगम के सभी 6 जोन में 6 टीमों को फॉगिंग के लिए तैनात किया गया है। आंकड़ों के मुताबिक, ये टीमें डे वाइज हर जोन में फागिंग करती हैं। लेकिन हकीकत में यह फॉगिंग सिर्फ कागजों में ही हो रही है। वहीं, हेल्थ डिपार्टमेंट ने सिटी के 14 सेक्टर में 42 टीमों को अवेयरनेस व लार्वा नष्ट करने के लिए तैनात कर रखा है। इसके अलावा डिस्ट्रिक मलेरिया डिपार्टमेंट की 10 टीमें आउटर के सीएचसी हॉस्पिटल में तैनात हैं। इन सारे इंतजामों के बाद भी सिटी में डेंगू मरीजों का आंकड़ा हर साल बढ़ जाता है।

पांच करोड़ से आठ महीने फॉगिंग
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। अमित सिंह ने बताया कि वर्तमान में नगर निगम के पास 23 जीप माउंटेड यानी की फॉगिंग की बड़ी मशीनें और 135 हैंडहेल्ड फॉगिंग मशीनें हैं। जिसमें हर माह लगभग 60 से 65 लाख रुपए का खर्चा डीजल, पेट्रोल व मैलाथियान केमिकल का आता है। ठंड व भीषण गर्मी में टोटल चार महीने फॉगिंग नहीं होती है। लिहाजा साल में आठ माह की जाने वाली फॉगिंग में लगभग 5 करोड़ रुपए नगर निगम निधि से खर्च किया जाता है। इसके बाद भी मच्छर नगर निगम मच्छर मारने में नाकाम है।

पांच सालों में दोगुना हुआ बजट
नगर निगम आफिसर्स के मुताबिक, पांच साल पहले पेट्रोल, डीजल की रेट कम होने के साथ ही फागिंग व्हीकल भी कम थे। जिसकी वजह से बीते पांच सालों में डेंगू से होने वाली जंग में लगने वाला बजट लगभग दो गुना बढ़ गया है। पहले कुछ वर्ष पहले की नगर निगम के पास 18 जीप माउंटेड व 60 हैंडहेल्ड फागिंग मशीनें थी। वर्तमान में 23 जीप माउंटेड और 135 हैंडहेल्ड फागिंग मशीनें है। लिहाजा अब हर माह 60 से 65 लाख रुपए का खर्च आता है।

एक जुलाई से नगर निगम चला रहा अभियान
डिस्ट्रिक मलेरिया आफिसर्स डॉ। एके सिंह ने बताया कि एक जुलाई से संचारी रोग रोकथाम अभियान चलाया जा रहा है। जिसके चलते हर दिन हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम लगभग 12 से 15 इलाकों में अभियान चला लोगों को अवेयर करने के साथ लार्वा की खोज भी कर रहे हैं। डेली 10 घरों में डेंगू का लार्वा पाया जा रहा है। जिनको केमिकल डाल की नष्ट किया जा रहा है। इसके अलावा सिटी में लगी 42 टीम अपने-अपने क्षेत्र में प्रोग्राम चला रही हैं।

बजट में होता खेल
नगर निगम के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फॉगिंग के लिए मिलने वाला बजट छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों में बंटता है। सिर्फ वीआईपी इलाकों में फॉगिंग कर खानापूर्ति कर दी जाती है। वहीं, जो गाडिय़ां फॉगिंग के लिए निकलती हैं, वो एक दो किलोमीटर ही फॉगिंग करती है, लेकिन खर्च में ज्यादा किलोमीटर दिखाकर पेट्रोल और डीजल के लिए रुपये ले लेते हैं। नगर निगम में तेल के करप्शन का यह खेल सालों से चल रहा है।