दक्षिणी ज़िले मुल्तान के एक स्थानीय अस्पताल में उनका ऑपरेशन हुआ और डॉक्टरों का कहना है कि मुख़्ताराँ माई और उनके बेटे दोनों का स्वास्थ्य ठीक है। डॉक्टर नसीम अख़्तर मलिक ने बताया कि मुख़्ताराँ माई के बेटे का वज़न 3.8 किलोग्राम है और वो बिल्कुल स्वस्थ है।
मुख़्ताराँ माई के पति नासिर अब्बास गबोल ने बताया, “यह हम दोनों के लिए ख़ुशी की ख़बर है और मैं एक पिता की हैसियत से बहुत ख़ुशी महसूस रहा हूँ और मैं ख़ुदा का शुक्र अदा करता हूँ कि माई बिल्कुल ठीक हैं.”
बलात्कार
उन्होंने कहा कि अभी तक उन्होंने अपने बेटे का नाम नहीं रखा है और वे गाँव जा कर अपने बुज़ुर्गों की सहमति से नाम रखेंगे। जून 2002 में दक्षिणी पंजाब के ज़िले मुज़फ़्फ़रगढ़ में एक स्थानीय पंचायत के फ़ैसले के बाद मुख़्ताराँ माई को सामूहिक बालात्कार का निशाना बनाया गया था और गाँववालों का कहना था कि उनके छोटे भाई के किसी दूसरी जाति की एक महिला के साथ अवैध संबंध थे।
आतंकवाद निरोधक अदालत ने छह अभियुक्तों को फांसी की सज़ा सुनाई थी लेकिन 2005 में उच्च न्यायलय ने पाँच अभियुक्तों को रिहा कर दिया था जबकि मुख्य अभियुक्त अब्दुल ख़ालिक़ की फांसी की सज़ा ख़त्म कर आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। मुख्ताराँ माई ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी लेकिन अदालत ने हाई कोर्ट के फ़ैसले हो बरक़रार रखा था।
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