कानपुर (ब्यूरो) कबूलनामा में मुख्तार ने एसआईटी को ये भी बताया कि उसके पास संपत्ति में जो भी घर, मकान और दुकान है, उसमें डीटू गैंग का बड़ा सहयोग रहा है। मुख्तार ने बताया कि उसके बेटे महमूद उमर ने हाफिज की पढ़ाई यतीमखाना के इमाम कारी कमाल से ली है.इसी वजह से बेटा महमूद उमर भी कुछ लोगों के साथ उठता बैठता है। तीन जून का बवाल वाले दिन सुबह से ही दुकान बंद थी। सभी लड़के उस दिन होने वाली बंदी के समर्थन में थे। मुख्तार ने एसआईटी को बताया कि वह जिस लायक था उसके अनुरूप सहयोग किया था।

सही समय है पीछे मत हटो
एसआईटी को दिए बयान में मुख्तार ने बताया कि हयात और उसकी टीम के सदस्यों के पीछे हटने की जानकारी हुई थी। जिसके बाद लड्डन मियां से खुद उसको फोन करवाया कि यह सही समय है चंद्रेश्वर हाते पर हमला कर दहशत फैलाने का। जिससे इस जगह को बिल्डर वसी को सस्ते दाम पर दिलवाया जा सके।

नहीं मिली किसी को बेल
नई सड़क बवाल मामले में आरोपी हिस्ट्रीशीटर अतीक खिचड़ी की अग्रिम जमानत अर्जी एडीजे जितेंद्र कुमार द्विवेदी ने खारिज कर दी। वहीं रुमाल हिलाकर पत्थरबाजों को इशारा करने वाले अजीम शुक्ला समेत पांच अन्य आरोपियों को भी जमानत नहीं मिली। एडीजीसी दिनेश अग्रवाल और विशेष लोक अभियोजक पंकज त्रिपाठी ने जमानत के विरोध में कहा कि डीटू गैंग के अफजाल को वसी और मुख्तार के बेटे महमूद उमर ने दस लाख रुपये दिए थे जिसमें एक करोड़ रुपये चंद्रेश्वर हाता खाली होने के बाद देने की बात तय हुई थी। इसके बाद अफजाल ने अपनी साजिश में अतीक खिचड़ी और सबलू को जोड़ा और दोनों को ईंट-पत्थर व बम चलाने के लिए चार-चार लाख रुपये दिए थे। अतीक हिस्ट्रीशीटर है।

मुखबिरी की आड़ में अपराध
कोर्ट में चमनगंज के शमीम पान वाला, दलेलपुरवा के मो। कैफ, बासमंडी निजामुद्दीन कंपाउंड का सनी, बेकनगंज रेडीमेड मार्केट का मो। शाहिद और अजीम उर्फ अजीम शुक्ला की जमानत पर भी सुनवाई हुई। अजीम के अधिवक्ता ने पुलिस अधिकारियों के साथ उसकी फोटो की प्रतियां और पुलिस मित्र का कार्ड कोर्ट में प्रस्तुत करते हुए कहा कि वह अक्सर पुलिस का सहयोग करता था। इस पर एडीजीसी निदेश अग्रवाल ने कहा कि अजीम मुस्लिम है लेकिन भ्रमित करने के लिए नाम के आगे शुक्ला लिखता है। मुखबिरी की आड़ में कई तरह के अपराध अंजाम दे रहा था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने पांचों की जमानत अर्जी निरस्त कर दी।