कानपुर (ब्यूरो) इससे पहले, सोमवार को सुनवाई के दौरान मंत्री सचान के बचाव पक्ष में कानपुर के 6 दिग्गज वकीलों का पैनल कोर्ट पहुंचा। बंद कोर्ट रूम में सुनवाई हुई। मंत्री राकेश सचान ने 2 बजे एसीएमएम-3 कोर्ट में सरेंडर किया। 3.30 बजे उसी कोर्ट से उन्हें बेल मिल गई। डेढ़ घंटे चले इस घटनाक्रम परं पूरे प्रदेश की नजर लगी रहीं।

इन मामलों में हुई सजा और जमानत
- धारा-25 में दोष सिद्ध हुआ। उनको अवैध शस्त्र रखने का दोषी पाया गया।
- धारा-20 में जमानत मिली। उस शस्त्र का लाइसेंस मिलने की वजह से जमानत मिल गई।
- धारा- 30 में जमानत मिली। शस्त्र का उपयोग और प्रदर्शन करना मंत्री के ऊपर साबित नहीं हुआ।

31 साल पुराना है मामला
1991 में राकेश सचान से पुलिस ने एक अवैध हथियार बरामद किया था। उस वक्त वो सपा के साथ थे। इस मामले में सशस्त्र अधिनियम के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इसी केस में शनिवार को कानपुर की अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट-3 की अदालत में सुनवाई हुई। कोर्ट ने सचान को दोषी ठहराया।
कोर्ट से भाग गए थे मंत्री
शनिवार को कोर्ट ने बचाव पक्ष को सजा पर बहस शुरू करने को कहा गया। मगर, मामले में नया मोड़ तब आया, जब राकेश सचान दोष सिद्ध होने के तुरंत बाद उस आदेश की फाइल लेकर ही अदालत से भाग गए। बाद में कोर्ट के पेशकार ने मंत्री के खिलाफ शनिवार को एफआईआर दर्ज कराने के लिए कोतवाली में तहरीर दी।

पेट खराब होने के कारण कोर्ट से चला गया था
मंत्री राकेश सचान ने अपनी जमानत के लिए दिए आवेदन में उन्होंने कोर्ट से भागने वाले मामले पर भी अपना पक्ष रखा है। कोर्ट को उन्होंने जानकारी दी कि शनिवार को पेट खराब होने व अस्वथ्य महसूस करने पर अधिवक्ता से हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र दिलवाकर वह कोर्ट से चले गए थे। समाचार पत्रों से जानकारी होने पर सोमवार को कोर्ट में सरेंडर किया। दोष सिद्ध आदेश की अपील दाखिल करने और न्यायालय से आदेश लेने के लिए 15 दिन की जरूरत है।