-एलएलआर हॉस्पिटल में तीन टेस्ला की एमआरआई और 64 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन लगाने को स्वीकृति

-मल्टी सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक में न्यूरो रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट के लिए खरीदी जाएंगी दोनों मशीनें

KANPUR: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एलएलआर हॉस्पिटल में एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनों की अलग-अलग जोड़ी मिलेगी। शासन ने जहां पीपीपी मोड पर एक एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन लगाने के लिए मार्च तक का वक्त दिया है। वहीं पीएमएसएसवाई के तहत बन रहे ख्ब्0 बेड के सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक में लिए भी इस योजना के अंतर्गत एक सीटी स्कैन और एमआरआई मशीन स्वीकृत की गई है। इसे नए ब्लॉक में बनने वाले न्यूरो रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट में स्थापित किया जाएगा। अप्रैल में ब्लॉक के तैयार होने के बाद इसमें यह नया डिपार्टमेंट भी शुरू होगा। इसमें रेडियोडायग्नोसिस के सुपरस्पेशिएलिटी कोर्स की भी शुरुआत की जाएगी।

तीन टेस्ला कैसे बेहतर?

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट के हेड प्रो। एके वर्मा बताते हें कि मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग टेक्नोलॉजी सबसे बेहतर स्कैनिंग के लिए जानी जाती है। एमआरआई में मैग्नेटिक पॉवर के जरिए स्कैनिंग होती है। ऐसे में यह जितने टेस्ला की होती इमेजिंग उनकी ज्यादा बेहतर होगी। आम तौर पर डेढ़ टेस्ला तक की एमआरआई मशीनें ही लगती है, लेकिन तीन टेस्ला की एमआरआई मशीनें ज्यादा एडवांस होती हैं। जिसमें फ् टेस्ला की मैग्नेटिक फील्ड का यूज स्कैनिंग में किया जाता है।

म्ब् स्लाइस की सीटी भी बेस्ट

फ्ख् से म्ब् स्लाइस की कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन मशीनें ही सबसे ज्यादा प्रचलित हैं। वहीं अब ज्यादा एडवांस क्ख्8 और ख्भ्म् स्लाइस की सीटी स्कैन मशीनें भी आ गई हैं। जितनी ज्यादा स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन होगी उतनी जल्दी वह प्रति रोटेशन एनाटोमिकल इमेजेस को कैप्चर करेगी। जांच में लगने वाला वक्त भी कम होगा। इन डिवाइसेस से स्कैन होने में क्भ् सेकेंड से कम वक्त लगता है।

स्पेसिफिकेशन होंगी तय

स्पेसिफिकेशन तैयार करने की जिम्मेदारी फिरोजाबाद में बन रहे मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को दी गई है। वहीं इन दोनों मशीनों की स्पेसिफिकेशंस तय करेंगे। खरीददारी की पूरी प्रक्रिया मार्च ख्0ख्क् तक पूरी करने के निर्देश शासन ने दिए हैं।

सुपरस्पेशिएलिटी में अप्रूव

मल्टी सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक के नोडल प्रभारी डॉ। मनीष सिंह से मिली जानकारी के मुताबिक इस ब्लॉक में न्यूरो रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट भी शुरू होना है। जिसके लिए एक एमआरआई और एक सीटी स्कैन मशीन की खरीद को पीएमएसएसवाई के तहत स्वीकृति मिली है। इन दोनों मशीनों को रखने के लिए नए ब्लॉक में रूम भी तैयार किए जा रहे हैं। एमआरआई मशीन फ् टेस्ला की रहेगी। वहीं सीटी स्कैन मशीन ज्यादा स्लाइस की हो लगे इसके प्रयास किए जा रहे हैं। अभी म्ब् से क्ख्8 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीनें ज्यादा प्रचलित हैं।

शुरू होगा सुपरस्पेशिएलिटी कोर्स

न्यूरो रेडियोडायग्नोसिस मौजूदा दौर में रेडियोडायग्नोसिस की एक नई विधा है। जिसमें ब्रेन और स्पाइन की इमेजिंग टेक्नोलॉजी से रिलेटेड सुपरस्पेशिएलिटी कोर्स भी चलते हैं। मल्टी सुपरस्पेशिएलिटी ब्लॉक में इसे भी शुरू किया जाएगा। इस न्यूरो रेडियोलॉजी से जुड़े सुपरस्पेशिएलिटी डीएम कोर्स की दो सीटों को लाने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।

पेशेंट्स को क्या फायदे?

- उन्हें सस्ती दरों पर एडवांस जांचे कराने की सुविधा मिलेगी। जिसके लिए उन्हें प्राइवेट में हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

- रेडियोडायग्नोसिस गाइडेड कई इंटरवेंशनल सर्जरी भी शुरू की जा सकेगी। अभी कानपुराइट्स को दूसरे शहरों में जाना पड़ता है।

मेडिकल कॉलेज को फायदा

- रेडियोडायग्नोसिस डिपार्टमेंट के रेजीडेंट्स को ट्रेनिंग के लिए अपनी मशीनें मिलेंगी। अभी इसके लिए रेजीडेंट्स को संघर्ष करना पड़ता है। मामला हाई कोर्ट भी पहुंच चुका है।

- मेडिकल कॉलेज में रेडियोलाजी और न्यूरो रेडियोलॉजी में नए कोर्सेस शुरू किए जा सकेंगे। रेडियोलॉजी की देश में सबसे कम सीटें हैं।