Vishwaroopam
पहली बात सबसे पहले। आज यूपी में अपने हिंदी वर्जन के साथ रिलीज हो गयी इस इयर की फर्स्ट सबसे कंट्रोवर्सियल मूवी विश्वरूपम। और सारे अंदाजे गलत साबित हो गए कि शायद हिंदी बेल्ट के व्यूअर्स भी विश्वरूपम नहीं देख पायेंगे।
अब बात कहानी की फिल्म की कहानी में ऐसा कुछ नहीं है जिस पर इतना बबाल किया जाए। मुस्लिम क्या यह फिल्म किसी भी कम्युनिटी के बिलीफ और बेस पर कोई कमेंट नहीं करती। फिल्म की स्क्रिप्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जो पहले फिल्मों में कहा या दिखाया ना गया हो। 26/11 के बाद इंटरनेशनल टेररिज्म और उसके इफेक्ट को लेकर बनी यह प्योरली कमल हासन की फिल्म है। बदले हुए हालात में एक कॉमन मैन भी कैसे बेवजह टारगेट बनता है यह उस इमोशन को बयान करने वाली फिल्म है। कमल हासन फिल्म का डॉमिनेटिंग करेक्टर है पर उनके लेडी लव के तौर पर पूजा कुमार की स्क्रीन प्रेजेंस इससे कम इंप्रेसिव नहीं होती।
कमल हासन का इस फिल्म से प्यार हर शॉट मे झलकता है। हे राम के बाद वो अपने बेस्ट डायरेक्टोरियल जोन में खड़े हुए हैं। राहुल बोस को एज विलेन उन्होंने जिस तरह से पेश करना चाहा है राहुल ने अपने टेलेंट से उस में इजाफा ही किया है। शेखर कपूर की इंटेस एक्टिंग और बोलती आंखो ने कमाल कर दिखाया है। कुल मिलाकर फिल्म इस बात को प्रूव करती है कि फिल्में बस दो तरह की होती हैं अच्छी या बुरी और विश्वरूपम को बिना शक अच्छी फिल्म की कटैगरी में रखा जा सकता है।
Cast: Kamal Haasan, Pooja Kumar, Rahul Bose, Andrea Jeremiah, Shekhar Kapur and Jaideep Ahlawat
Director: Kamal Haasan
David
आज लंबे अर्से के बाद नील नितिन मुकेश की कोई फिल्म रिलीज हुई है। लेकिन दुख है कि एक बार फिर कहानी के चलते नील की एक्टिंग बैक फायर कर गयी। फिल्म की कहानी इतनी उलझी हुई है कि आप और किसी चीज पर कंसंट्रेट कर ही नहीं पाते और बाहर आकर भी यही सोचते रहते हैं कि आखिर डायरेक्टर बिजॉय नंबरियार को तीन डेविड, तीन सिटीज और तीन डिफरेंट स्टोरीज को एक साथ उलझाने की ऐसी क्या जल्दी थी कि एक भी कहानी अपनी बात साफ गोई से नहीं कह पायी। इस सारे उलझाव में इतने अच्छे कलाकर ऐसे बिखरे कि बिना कोई असर छोड़े गुम हो गए। अब आप सोच लें की आप किसकी वजह से यह फिल्मा देखना चाहते हैं।
Cast: Neil Nitin Mukesh, Chiyaan Vikram, Vinay Virmani, Tabu, Sarika, Isha Sharwani, Monica Dogra, Milind Soman, Rohini Hattangad
Director: Bejoy Nambiar
Listen Amaya
एक अच्छी और मासूम फिल्म जिसे देखने के बाद आप एक पॉजिटिव अहसास अपने भीतर महसूस कर सकते हैं। बेशक यह फिल्मी उलझे इमोंशंस को पोट्रे कर रही है पर सफाई से बुनी कहानी कहीं नहीं उलझती और मंथर गति से बहती जाती है।
लीला कृष्णमूर्ति (दीप्ति नवल ) और उसकी बेटी अमाया (स्वरा भास्कर) के बीच के प्यारा सा रिलेशन है जो स्ट्रांग बांडिंग में बंधा है। दोनों किताबों की दुनिया में रहती है लीला का एक बुक कैफे है और आमाया एक राइजिंग राइटर है दोनों अपने अहसास बांटती हुई एक मुस्कराती जिंदगी जी रहीं हैं कि अचानक उनकी लाइफ में आता है फोटोग्राफर जयंत सिन्हा (फारुख शेख) जो मां बेटी दोनों के ही करीब है। लीला उसमें एक साथी देखने लगती है और सोचती है कि अमाया उसे समझ लेगी लेकिन क्या वाकई ऐसा ही था। या अमाया की सोच कुछ और है।
फिल्म उन लोगों के लिए मस्ट वाच है जो फारुख और दीप्ति को एक बार फिर स्क्रीन पर वही कमेस्ट्री शेयर करते देखना चाहते हैं जो उन्होंने चश्मेबद्दूर में देखी थी. लिसन अमाया मेरे हिसाब से उन चंद फिल्मों में से एक है जिसे डायरेक्शन की वीकनेस भी कमजोर फिल्म नहीं बना पायी है और लीड एक्टर्स की जबरदस्त एक्टिंग डायरेक्शनल पकड़ से बहुत आगे निकल गयी है।
Farooq Sheikh, Deepti Naval, Swara Bhaskar
Director: Avinash Kumar Singh
Midnight's Children
एक और डिबेटेबल फिल्म आज रिलीज हुई सलमान रुश्दी के अवार्ड विनिंग नॉवेल से अडाप्ट की हुई कहानी पर बेस्ड उसी नाम की फिल्म मिडनाइटस चिल्ड्रेन। यह एक कांप्लेक्सड स्टोरी है जो कई लेयर्स में बुनी हुई है। लेयर इमोशंस की, लेयर पॉलिटिकल एटमॉस्फियर, लेयर सोशल इनवॉयरमेंट की और लेयर तीन कंट्रीज में फैले एक जैसे सच की।
यह कहानी है पावर्ती, सलीम और शिवा की जो 15 अगस्त 1947 की मिडनाइट में जन्मे और एक ही कंट्री के बंटे हुए तीन टुकड़ों इंडिया, पाकिस्तान और बंगला देश में पले बढ़े। जिन्होंने अमीरी गरीबी को अपने तरीके महसूस किया और जिंदगी को उसी के अकॉर्डिंग इंटरप्रेट किया।
बड़े एक्टर्स और दीपा मेहता के अनक्वेश्च्नेबल डायरेक्शन के बावजूद फिल्म असली नॉवेल की आधी इंटेंसिटी को ही टच कर सकी आधा अहसास छूटा हुआ सा लगता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि फिल्म कहीं से कमजोर या गलत ट्रीटमेंट का शिकार है। बात बस इतनी है कि जो लिखा हुआ होता है वो सालों को अपने कैनवस में आसानी से समेट लेता है लेकिन लिमिटेड ऑवर्स की फिल्म के लिए ऐसा करना अक्सर मुश्किल होता है.
Cast: Shabana Azmi, Seema Biswas, Shriya Saran, Rahul Bose, Satya Bhabha and Shahana Goswami
Director: Deepa Mehta
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