शोधकर्ताओं का कहना है कि एक ही जीव की विभिन्न प्रजातियों में इस प्रकार का जीन स्थानांतर बहुत ही दुर्लभ है और ऐसा सिर्फ़ पौधों और बैक्टीरिया में पाया जाता है। शोधकर्ताओं को चिंता है कि इस नई रोधक शक्ति के बाद चूहों की ऐसी पीढ़ी सामने आ सकती है जिसके सामने किसी भी प्रकार का कैमिकल पेस्ट कंट्रोल नाकाम साबित हो जाएगा।
ख़ून में क्लॉटिंग से लड़ने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दवा 'वॉरफ़ेरिन' का प्रयोग चूहों को मारने के लिए किया जाता रहा है क्योंकि इस दवा के अधिक मात्रा में सेवन से ख़ून का घातक रिसाव होता है। पिछली सदी के पांचवे दशक में ये दवा प्रचलन में आई थी। लेकिन अब दुनिया के कुछ हिस्सों में कुछ चूहे इस दवा के लिए प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके हैं।
जैविक परिवर्तन
अब वैज्ञानिकों कहना है कि जर्मनी और स्पेन चूहों के अल्जीरियाई चूहों के साथ प्रजनन से एक नई प्रजाति अस्तित्व में आ रही है। ये शोध अमरीका के टेक्सास स्थित राइस विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर माइकल कोहन और उनकी टीम ने किया है।
प्रोफ़ेसर कोहन कहते हैं, "इन दो प्रजातियों के बीच प्रजनन से पैदा होने वाले चूहे जीवाणुहीन होते है लेकिन अगर कुछ मादा चूहे अगर जीवाणुहीन नहीं निकलते हैं तो कि ज़हर रोधक जीन का स्थानांतरण हो जाता है."
इन्हीं कुछ मादा चूहों की वजह से स्पेन और जर्मनी में बहुत ही कम समय में चूहों की एक बड़ी आबादी ने ज़हर से रोधक क्षमता हासिल कर ली है। ये चूहे आम घरेलू चूहों जैसे ही लगते हैं लेकिन अब इनके पास एक ऐसा जीन कोड है जिसकी बदौलत इनपर दुनिया के सबसे ख़तरनाक कैमिकल का भी असर नहीं होता है।
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