KANPUR: मां, यह महज एक शब्द नहीं बल्कि अपने परिवार और बच्चों के लिए बड़ी से मुश्किल का सॉल्यूशन है। परिवार की हिम्मत है, हौसला है। खुद कितने ही कष्ट में हो लेकिन जब उसके बच्चों और परिवार पर मुसीबत आती है तो वह शक्ति का रूप धारण कर लेती है। कोरोना महामारी की इस घड़ी में भी कई मां ने ऐसे ही साहस और धैर्य का परिचय देते हुए न सिर्फ खुद को इस महामारी से बचाया बल्कि पूरे परिवार को संभाला। मदर्स के मौके हम ऐसी ही मां की कहानी आपके लिए लेकर आए हैं।

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चंद दिनो के अंतर में बेटा संदीप और हसबैंड कुलदीप पाटनी दोनों ही कोविड की चपेट में आ गए थे। दोनों लोग होम आइसोलेट हो गए। बाहर से घर गृहस्थी का सामान लाने की जिम्मेदारी यही दोनों लोग उठाते हैं। एकसाथ अचानक से दोनों के पॉजिटिव होने से लगा, अब कैसे घर चलेगा? पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। बहुत बेचैनी हुई लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मातारानी का नाम लिया और दोनों की सेवा शुरू कर दी। मन में ठान लिया था कि बेटे और हसबैंड को हारने नहीं दूंगी। अगर मैं ही हिम्मत छोड दूंगी तो इनका हौसला कैसे बढ़ाउंगी। बस पहले दिन से ही उसी काम में जुट गई। साथ ही समय पर दवाइयां, काढ़ा, स्टीम और पौष्टिक भोजन का ख्याल रखा। परिजनों के कोविड के चपेट में आने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से मदर्सडे की पूर्व संध्या पर सीमा पाटनी ने कोविड से मिले अनुभव को साझा किया।

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मनोबल न टूटने दें

सीमा कहती हैं कि यदि आपका बेटा या घर का कोई भी मेंबर चपेट में आ गया है तो घबराए नहीं। हिम्मत और हौसले से कोविड को मात दे सकते हैं। होम आइसोलेट बेटा मोबाइल से अपना समय पार करता था। एक दिन रात में अचानक बेटा बहुत घबरा गया। उसने कहा मां मेरे पास मत आइए, अब हम जी नहीं पाएंगे अपना ध्यान रखना। वो कमरे में आने से रोक रहा था। पहले उससे कहा मास्क पहनो, जब उसने पहन लिया तो उसके कमरे में गई। ग्लव्स और डबल मास्क मैंने भी पहन रखे थे। प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और उससे कहां कि तुम तो कभी नहीं हारे फिर अब कैसे ? ये मेरा बेटा संदीप ही है न या बदल गया है। ये तो हमेशा मुश्किल घड़ी में भी उठकर खड़ा हो जाता है। थोड़ी देर बाद वो सो गया। अगले दिन सुबह सोकर उठा तो सारी निगेटेविटी दूर हो चुकी थी। टेंशन की जगह कोरोना को हराने का संकल्प नजर आया।

सोशल मीडिया से दूरी जरूरी

सच बताऊं तो वाट्सएप और सोशल मीडिया ने जितनी चीजें आसान की हैं। उससे कहीं ज्यादा इसने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। दरअसल यह कोविड पेशेंट्स का मनोबल तोड़ रहा है। बेटे की हालत अचानक मोबाइल पर न्यूज और कोविड के बारे में ज्यादा पढ़ने से हुई थी। उसकी हालत देखकर उसके हाथ से मोबाइल ले लिया था। उसकी जगह अच्छी किताबें, मैगजीन आदि दी।

मौसी और बेटे की डेथ से घबराए

17 अप्रैल को दोनों लोगों को कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इसी के चार दिन बाद 21 अप्रैल को दिल्ली में रहनी वाली संदीप की मौसी और बेटे की डेथ हो गई थी। इससे मेरे हसबैंड भी बहुत परेशान हो गए थे.घर के सभी लोग दुखी थे.हसबैंड को समझाया आप ही हार जाओगे तो बच्चे तो खुद ब खुद हार जाएंगे। हसबैंड ने भी हिम्मत जुटाई और मनोबल नहीं टूटने दिया। अब सब लोग ठीक है और रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद से फैक्ट्री जाने लगे हैं।

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मां ने की मदद, हार गया कोरोना- फोटो

ग्वालटोली में रहने वाली हेमलता शुक्ला कोरोना वायरस की पिछली लहर में पति दिनेश शुाक्ल के साथ ही संक्रमित हो गई थीं। हाई बीपी, डायबिटीज और थायराइड की प्रॉब्लम उन्हें पहले से थीं। ऐसे में कोरोना संक्रमण होने से वह थोड़ा घबरा गईं, लेकिन फिर खुद को संभाला। ट्रीटमेंट का पूरा प्रोटोकॉल फॉलो किया। दवा, एक्सरसाइज और खानपान ठीक से लिया। 10 दिन बाद उन्होंने कोरोना संक्रमण को मात दे दी। इसके बाद से उन्होंने अपने रहन सहन में कोरोना से बचाव के लिए हर तरह के उपाय अपनाए। वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो सबसे पहले जाकर वैक्सीन लगवाई, लेकिन कोरोना वायरस की वेव में इस बार उनका बेटा विशाल संक्रमित हो गया, वह होम आइसोलेशन में था। बेटा होम आइसोलेशन का प्रोटोकॉल ठीक से पालन करें यह हेमलता ने सुनिश्चित किया। बेटे का उत्साहवर्धन करने के साथ हौसला बढ़ाया और अब पूरा परिवार कोरोना मुक्त हो चुका है।

क्या करें यदि फैमिली मेंबर हो चपेट में

- अपना मनोबल न टूटने दें

- पहले दिन से ही दवा शुरू कर दें

- सावधानी बरतें जिससे परिजन न आए चपेट में

- अच्छी किताबें और धार्मिक पुस्तकें पढ़ाएं

- स्टीम जरूर दें, काढ़ा भी पीते रहें

- परिजनों को मोटीवेट करते रहें